बच्चो के लिए मजेदार कहानी child story in hindi
अगर आप बच्चो के लिए मजेदार kahaniya ढूंड रहे है या खोज रहे है moral stories in hindi और baccho ki kahaniya तो आप बिलकुल सही जगह पर है यहाँ आपको story for kids in hindi और motivational story in hindi या panchatantra stories in hindi में मिल जाएगी और stories in hindi या फिर hindi kahaniyan bachon ki आप इस post के द्वारा read कर सकते हो.
कहानी 1 :- चलाक लोमड़ी और सारस
किसी जंगल में बहुत ही चतुर लोमड़ी रहती थी उसे दूसरों को पागल बनाने में बहुत मज़ा आता था सारस उस चालक लोमड़ी का मित्र था और वह बहुत सीधा साधा था. उस लोमड़ी ने सोचा क्यूँ न उसके साथ मज़ाक किया जाए एक बार उस स्वार्थी लोमड़ी ने अपने घर में सारस को रात के खाने पर आमंत्रित किया और सारस ने धन्यवाद किया और बोला में जरूर आऊंगा. सारस उस लोमड़ी के घर गया लोमड़ी ने पहले से ही योजना बना राखी थी उसने प्लाटों में soup परोसा.
लोमड़ी के लिए उस plate से soup पीना कोई मुश्किल नहीं था लेकिन सारस बेचारा वह केवल अपनी चोंच का आखरी सिरा ही soup में भिगो पाया चोंच से भला वह soup केसे पीता तो इस वजह से वह भूखा ही रहा और उसने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया और उसको समझ आ गया की लोमड़ी ने उसका मजाक उड़ाने के लिए ही दावत पे बुलाया है और जब वह उदास हो गया तो लोमड़ी बोली! क्यों खाना पसंद नहीं आया? सारस बोला बहुत अच्छा खाना था और बोला तुम भी किसी दिन मेरे यहाँ आओ और भोजन का आनंद लो सारस इस अपमान के बाद उसने अपने मन में सोच लिया था की वह अपने इस अपमान का बदला जरूर लेगा.
दुसरे दिन लोमड़ी सारस के घर पहुँच गई और वह अपने साथ सारस को गिफ्ट में देने के लिए कुछ भी नहीं लाइ थी और उसने सोचा की में खूब जम कर खाएगी.
सारस ने भी soup त्यार किया और soup को लम्बी गर्दन वाली सुराही में परोसा और सारस ने तो अपने लम्बी चोंच से सारा soup पी गया लेकिन लोमड़ी सुराही के चारो ओर चक्कर ही लगाती रह गई और बस आईडिया ही लगाती रही के आखिर इस soup को कैसे पिया जाए और साड़ी कोशिशों के बावजूद भी वह soup ना पी पाई और उसे भी सारस की तरह भूखा ही रहना पड़ा और इस तरह बेचारे सारस ने अपने अपमान का बदला उस चतुर लोमड़ी से लिया.
"जैसे को तैसा" तो इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है की जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ भी वैसा व्यवहार होता है.
कहानी 2 :- मेमना और भेड़िया
एक दिन एक चोट मेमना भेड़ों के झुंड के साथ घास चराने गया था और वह बहुत शैतान था अपनी शरारत की वजह से एक दिन वह भटक गया और उसे वह घास दिखाई दि और वह उसे बहुत मज़े लेके खाने लगा और वह चोट मेमना अपने झुंड से काफी दूर आ गया था और इस बात से वह अनजान था लेकिन वह एक और बात से अनजान था एक लोमड़ी उसका पीछा कर रही थी और जब उसको एहसास हुआ की वह अपने झुंड से कही और आ गया है तो उसने वापस जाने का फैसला किया तो जैसे ही वह जाने लगा तभी उसने देखा एक भूखा चालक भेड़िया खड़ा था जो उसके सामने आ गया था अब मेंमने को यही लगने लगा की अब कुछ नहीं हो सकता भाई अब में मारा जाउगा ये मुझे खा जाएगा.
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मेमने ने भेड़िये से कहा :- क्या आप मुझे खा जाओगे?
भेड़िये ने कहा :- हाँ किसी भी कीमत पर.
मेमने ने कहा :- क्या आप कुछ देर इंतज़ार कर सकते है?
भेड़िये ने कहा :- लेकिन क्यूँ?
मेमने ने कहा :- मेने बहुत सारा घास खा लिया है मेरा पूरा पेट घास से भर चूका है अगर आप मुझे अभी खा लेंगे तो आपको मज़ा नहीं आएगा आपको लगेगा की आप घास खा रहे हो तो जब तक घास पाच नहीं जाता तब तक आप इंतज़ार करें.
भेड़िया बोला :- ठीक है.
मेमने ने कहा :- धन्यवाद.
भेड़िया कुछ देर बाद मेंमने को मारने के लिए तैयार हो गया लेकिन मेंमने ने उसे फिरसे रोक दिया.
मेमने ने कहा :- प्यारे भेड़िये क्या आप कुछ और देर इन्तिज़ार कर सकते हो घास अभी तक पची नहीं है तो आप मुझे थोडा नाचने दो तो ये आसानी से पाच भी जायगा और आप मुझे खा सकेंगे.
भेड़िया :- हा ये भी ठीक है.
मेमना पागलों की तरह नाचने लगा और फिर एक दम से रुक गया.
भेड़िये ने कहा :- क्या हुआ रुक क्यूँ गए?
मेमना बोला :- में नाच नहीं पा रहा हूँ क्यूंकि कोई संगीत ही नहीं है.
भेड़िये ने कहा :- तो अब क्या कर सकते है?
मेमने ने कहा :- क्या मेरे गले में ये लटकी हुई घंटी देख रहे हो क्या आप इसको जोर से बजा सकते हो तो इससे मुझे नाचने में भी मजा आयगा और मेरे पेट में जो घास है वो भी जल्दी पच जाएगा.
भेड़िया : वह किसी भी कीमत पर मेंमने को खाना चाहता था वह कुछ भी करने को त्यार था इस वजह से वह मान गया और उसने मेमने के गले से घंटी उतार कर अपनी पूरी ताकत के साथ उसे बजाने लगा.
चरवाहा मेमने को ढूंड रहा था की अचानक उसे घंटी की आवाज सुनाई दी और वह उस घंटी को सुनते उसी तरफ चला गया और तभी उसने उस भेड़िये को मेमने के साथ देखा और बहुत जोरो से उसकी तरफ भागा और ये देख कर भेड़िया वहां से भाग गया और मेमना बच गया.
तो इस कहानी से हमे यही सीख मिलती है की शारीरिक ताकत से ही सब कुछ नहीं होता कभी-कभी कमजोर लोग अपनी होशियारी से अपने दिमाग का इस्तेमाल करके ताकतवर लोगों पर काबू पा सकते है.
कहानी 3 :- लोमड़ी और अंगूर
गर्मियों का मौसम था एक लोमड़ी तेज धुप में भूखी प्यासी जंगल में घूम रही थी और उसकी तबियत ख़राब होने की वजह से वह शिकार भी नहीं कर पा रही थी वह सोचने लगी कबसे भूकी प्यासी घूम रही काश कुछ खाने को मिल जाए और आगे चलती गई की उसकी नजर एक पेड़ पर पड़ी जहाँ अंगूरों के कुछ गुच्छे उसे दिखाई दिए और वह खुश हुई और जब वह उस पेड़ के पास आई उसने देखा की अंगूर के अंगूरों के गुच्छे बहुत ऊपर है जहा वह पहुँच नहीं पा रही थी. वह कोशिश करती है उन अंगूरों के गुच्छे को पकड़ने की और पर नहीं पकड़ पाती है वह फिर से कोशिश करती है और गिर जाती है. जब वह उनको नहीं पकड़ पाती है तो वह कहने लगती है की आरे ये अंगूर तो खट्टे है कच्चे भी है में अपना पेट ख़राब नहीं करना चाहती हुह... कौन खाएगा इन्हें.... ये तो देखने में भी अच्छे नहीं लग रहे है में इन्हें खाना ही नही चाहती ओए वह से चली जाती.
जब चीज़ लोगो को आसानी से नहीं मिल पाती तो लोग उसे ख़राब कहने लगते है लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए हमे उस चीज़ को बुरा कहने से पहले सोचना चाहिए की हमने उस चीज़ को पाने के लिए कितना प्रयास किया.
प्रयास में सफल न होने पर बहाना नहीं करना चाहिए.
एसे ही और भी कहानी पढने के लिए.
मजेदार कहानिया :- hindi kahani
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