डॉ.भीम राव ambedkar की सच्ची कहानी dr bhimrao ambedkar history in hindi

 inspirational stories in Hindi for students और bravery stories in Hindi with moral इस पोस्ट का प्रमुख टॉपिक है .हमारी सफलता में हमारी मेहनत और सोच का बहुत बड़ा हाथ होता है किसी भी काम को करने के लिए जज्बा और जुनून होना चाहिए लगन से काम करेंगे आगे जरूर बड़ेंगे. ऐसे ही dr. bhimrao ambedkar history in hindi या dr. bhimrao ambedkar university इस story को read करें और जाने dr babasaheb ambedkar information या br ambedkar in hindi में read करें और आप इस story में b r ambedkar short biography read कर सकते है और आप उनकी पत्नी ramabai ambedkar या b. r. ambedkar education के बारे में भी जान सकते है.




bhim rao ambedkar in hindi

ये story एक महान व्यक्ति की है सन 1891 में रत्नगिरी नाम का स्थान महाराष्ट्र की वो भूमि जहां जन्म हुआ एक profound powerful दलित leader का एक ऐसे शक्ति शाली politician, women emancipator, एक economist, एक prolific writer, एक theorist एक ऐसे महान व्यक्ति Buddhism का revivalist भी था human rights profounder और eminent scholar और razor sharp intelligence.
जिनका नाम  Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar छोटी उम्र में ही ये रत्नागिरी  से सतारा नाम के स्थान महाराष्ट्र के पुणे के नजदीक है वहां शिफ्ट हो गए इनकी माता का देहांत हो गया था छोटी सी उम्र में ही बचपन से ही बड़ी दिल को देहेला देने वाली दुखी कर देने वाली एक बच्चे को आतंकित पीड़ित कर देने वाली तंग करने वाली परेशान करने वाली कठिनाइयों के दौर से ये गुजरे छोटे थे पढ़ना चाहते थे अपने पिता से बहुत request करते थे लेकिन क्यूंकि दलित समाज में एक महार जात में इनका जन्म हुआ तो इनको पढ़ने की कोई सुविधा नहीं  थी वहां के आम बच्चो के साथ इनको पढ़ने नहीं दिया जाता था और पिता ने इनको बड़ी किसी तरह जुगाड़ लगा के नजदीक के स्कूल में एडमिशन कराया तो उसको बैठने नहीं दिया गया बोले अलग बैठ के पढ़ेगा लेकिन उनकी पढाई में इतनी रूचि थी के अलग बैठ के भी इतना ध्यान से पढ़ते थे के मास्टर ने इनको एक बार बोला की इधर आओ और ये ब्लैकबोर्ड पे जो सवाल है इसे solve करके दिखाओ लेकिन जब सवाल solve करने ही गए थे की बच्चे चीखने लगे की मास्टर जी मास्टर जी........ ये नीची जाती का है और बच्चे चिल्लाके भागने भी लगे लेकिन ये हैरान हुए की बच्चे भाग क्यू रहे है ब्लैकबोर्ड की तरफ तभी देखा सारे बच्चो ने अपने-अपने टिफ़िन उठाए और पीछे करने लगे धक्का मरने लगे क्यूँ क्यूंकि उनको डर था की अगर इनकी परछाई भी अगर हमारे टिफ़िन में पड़ गई तो हमारा खाना अपवित्र हो जाएगा ऐसे ही कई चोंटे धक्के इनको लगे....
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एक बार पानी क्या कुँए से पी लिया इतनी मार पड़ी और एक बार रिक्शे वाले ने रिक्शा से निचे उतार दिया बोला तू नही बैठेगा रिक्शे पे क्यूंकि रिक्शे वालो को बीच में पता चला की ये नीची जात का है और उससे बोला की तुझ से डबल पैसे लूँगा और अब रिक्शा भी तू ही चलाएगा क्यूंकि उस समय छूने से ही नहीं परछाई तक से दिक्कत थी आवाज से दिक्कत थी लोग सोचते थे की अपवित्र हो जाएंगे तो ये दर्द जो उनको सहना पड़ा यही दर्द इनकी जिंदगी में बहुत बड़ा role play किया आगे चलकर इनकी leadership को built करने में संस्कृत नहीं पढ़ाई जा रही थी बोलते है की संस्कृत तो ब्राह्मण के पढ़ने के लिए है तेरे पढ़ने के लिए नहीं.

स्कूल से निकाल दिया जाता था तो साया जी महाराज गैक्वाडा नाम के एक राजा हुआ करते थे जिन्होंने इसकी तकलीफ को समझा और वो इनकी तकलीफ को पहचानते थे और इनकी पढने की इतनी इच्छा को देख के उन्होंने इनको sponsor किया scholarship दी ताकि ये जाके west में लम्बी पढ़ाई कर सके और बात अब की नही है बात एक सौ दस साल पुरानी है 1908-09 उस समय सबसे निचले पायदान से उठा हुआ म्हार जात का लड़का जाकर के inter कर के आया इंग्लिश में Mumbai से उसके बाद वही से B.A. करी political science और economics में रुका नहीं तुम मुझे यहाँ नहीं पढने दोगे में जाऊँगा दुनिया के best university में रोक के तो  दिखाओ और वो ही scholarship लेकर नकल गए New York Columbia university में जाके पहले MA- political science, economics, history और sociology में और उसके बाद PhD करी और यही नहीं London school of economics चले गए और वहां जाके M.Sc किया उसके बाद law की पढाई की और उसके बाद भी Doctorate किया किताब के उपर अपनी thesis लिखी और ये वोही किताब थी  जिसके उपर आज जाकर के reserve bank of india को बनाया गया.
महाराजा और वड़ोदरा से प्रेम इतना था जो साया जी गैक्वाडा जिन्होंने इनको scholarship दिया पढ़ने में इनकी मदद करी थी दुनिया भर में पढ़ के उनका प्रेम भूले नही वापस उनके पास आ गऐ और बोले! दुनियाभर में पढ़ के आया हु आपकी सेवा में आना चाहता हूँ तो उनको military secretary की नौकरी मिली और उस समय ये नौकरी बहुत बड़ी मानी जाती थी अब ये बड़ी पद्वी पे तो आ गए थे लेकिन वो छुआछूत ने इनका पीछा थोड़ी न छोड़ा वहां भी जो सरकारी peon होता था वो उनको दूर से ही file फेंक के देता था बोला तू नीच जात का है ये नौकरी मिल गई तो क्या हुआ..... दूर से file फेकते थे उसके पास नहीं जाते थे और उनको खाने के लिए भी बोलते थे की बहार जाके खा और आज भी वो कुँए से पानी नहीं पी सकते थे तब भी यही condition थी.
बाबा साहेब की समस्या अभी कम थोड़ी ना हुई थी अभी तो जिनसे उनकी शादी हुई थी रमाबाई उनसे उनकी 5 संतान हुई लेकिन 4 बच्चे एक के बाद एक.. एक के बाद एक 4 बच्चों की मौत हो गई इलाज की सुविधा ठीक से  ना मिल पाने के कारण मौत हो गई 4 बच्चों की मौत हुई 1 बच्चा बचा लेकिन आगे चलकर पत्नी भी उनका ज्यादा साथ ना दे पाई उनकी भी लम्बी बीमारी के चलते उनका देहांत हो गया अब इस समय कोई भी आदमी टूट सकता था जिसका अपना स्वाभिमान ही खत्म हो जाए लेकिन बाबा साहेब ने क्या किया ये साथ-साथ अपने देश के लिए लड़ते रहे और घर की तकलीफों से अपने आप के घुटने टेक दिए सत्याग्रह पर निकल गए.
1927 के सत्याग्रह पे जिद्द पे अड़ गए सब दलितों को कुँए से पानी पीने का अधिकार दिला कर रहूँगा सार्वजानिक  स्थान है किसी का private नही है जो सरकारी स्थान है वहां पे एक इंसान दुसरे के साथ कुँए से पानी क्यूँ नहीं पी सकता और गलत तो हो रहा था साड़ी भी पहने तो पाँव को ढके नहीं उसे उठा के पहने तो उन्होंने अधिकार दिलाया के पूरी निचे तक आम ओरतों की तरह पाँव को ढक के साड़ी पहने का अधिकार दिलाया.
communal electorate की मांग करी ये चाहते थे की हमारी community की voting की सुविधा अलग हो लेकिन इसमें गाँधी जी हड़बड़ाए क्यूंकि वे जानते थे की अंग्रेज लोग  मिलके हमारे सारी जातियों को तोड़ के अलग कर देंगे तो गाँधी जी ने इनको समझाया बोले! ambedkar में आपको reservation दिला दूंगा  में आपकी बाकि सब मदद कर दूंगा लेकिन अलग नहीं करूँगा अब अगर जातियों के आधार पर देश को अलग किया तो मुझे स्वतंत्रता नहीं मिल पायगी में अंग्रेजो से लड़ नहीं पाऊंगा तो मेरे साथ खड़े होकर मेरी ताकत बनो तो जब ambedkar नहीं माने तो गाँधी जी ने request की और उसके बाद अनशन पे बैठ गाए तो ambedkar के सामने अब बड़ी दुविधा आ गई वो सोचे की एक तरफ  मेरी जाती के लोग में उनकी मदद करू और एक तरफ देश में आन्दोलन लड़ रहे गाँधी के  जीवन इनके जीवन का त्याग ना हो जाए कहीं इनका यही ना जीवन खत्म हो जाए तो वो बोले ठीक है आप अपना अनसन छोड़िये POONA PACT वहां sign. किया गया और जब POONA PACT sign. किया गया उस समय इन्होने reservation को कम से कम control में करलिया.
The Evaluation Of Provincial Finance In British India की एक किताब The Problem Of The Rupee नाम की ये  दो किताबें जिसके आधार पे RBI(RESERVE BANK OF INDIA) की स्थापना हुई.
तो अब आप imagine कर सकते है की भारत के सबसे निचले पाएदान से आया लड़का जिसकी कोई मदद करने वाला नही था आज उसकी बुद्धि पे आधारित हमारी  CONSTTUTION की स्थापना हुई इनकी ज्ञान(knowledge), बुद्धि(intelligence) और कौशल (skill) की वजह से indian leaders और british leaders दोनों मानते थे.
1947 में भारत आजाद हुआ और गाँधी जी के पास नेहरु जी cabinet की पूरी list लेकर आए जब नेहरु जी जो की  स्वतन्त्र भारत के पहले प्रधान मंत्री होने वाले थे पूरी cabinet की list लेकर पहुंचे और बताया की देखो इनको मेने... तभी गाँधी जी ने पूछा की बाबा साहेब ambedkar जी का नाम कहा है और वही थोड़ी उनकी बहस हुई और वहीँ गाँधी जी ने बोला की नेहरु ये तुम्हारी ही cabinet नही है ये आजाद भारत की cabinet है और तभी  बाबा साहेब को कानून मंत्री के रूप में लिया गया और यही नही बल्कि drafting committee थी indian constitution की  उसका chairman बना दिया गया और बाबासाहेब की intelligence के आगे कोई कुछ बोल नहीं सकता था तो जो इनसे सहमत थे और जो सहमत नही थे दोनों ही जानते थे की इस आदमी में बुद्धि बहुत है
इतने बुद्धिमान थे की आगे चलकर इन्होने हिन्दू कोड बिल और महिलाओं के लिए कानून के अन्दर कई बदलाव लाय ये वो political leader नही थे जो सत्ता के लिए लड़ते थे ये लड़ते थे उनके लिए की देश में कमजोर हिस्से को उठाना देश के हर leader की जिम्मेदारी है चाहे वो महिलाए हो चाहे वो जाती धर्म हो कमजोर हिस्से को आगे बड़ाना और support करना तभी देश आगे चलेगा खुशिहाली आएगी फ़ायदा सबका होगा.



इन्हें पढ़ना ना भूलें 




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