रेणुका आराध्य real life inspirational stories in hindi

मुझे उम्मीद है की आप अपनी लाइफ में अच्छे होगे. लेकिन कई बार ऐसा होता है की हमें success मिलते-मिलते रह जाती है क्यूंकि हम give up कर देते है तो आज आपको एक एसे व्यक्ति के बारे में बताएगे जिसे read करके आपको कुछ टिप्स मिल सके अपने life में आगे बढ़ने के लिए. business success stories और successful businessman and their stories या success businessman story in hindi या फिर real life inspirational stories in hindi और story of successful person in hindi में read करें और अपनी लाइफ को success बनाए.



 रेणुका आराध्य 

कहानी जो आपकी ज़िन्दगी को सफल बनाने में मदद करेगी इस काहानी से आप बहुत कुछ सीख सकते है और अपनी life में आगे बढ़ सकते है.
"परेशानियों से भागना तो आसान होता है हर मुश्किल ज़िन्दगी में एक इम्तिहान होता है हिम्मत हारने वालों को कुछ नहीं मिलता मुश्किलों से लड़ने वालों के क़दमों में भी सारा जहाँ होता है"
आज हम आपको एक ऐसी success story बताने जा रहे है जो अपनी लगन और मेहनत के बलबूते एक भीखारी से करोड़पति बन गया जहाँ कभी वो घर-घर जाकर भीख मांगा करता था और आज market में उसकी company का turnover 30 करोड़ रुपए है और इनकी company की वजह से कई अन्य घरों का भी चूला जलता है और इनका नाम है रेणुका आराध्य और ये 50 वर्ष के हो चुके है.
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इनकी शुरुआत बेंगलुरु के निकट अनेकल तलूक gopasandra गाँव से हुई रेणुका के पिता एक छोटे से स्थानीय मंदिर के एक पुजारी थे जो अपने परिवार की जीविका के लिए दान-पुन्य के पैसों से ही उनका घर चल पाता था इसलिए वे आस-पास गाँव में जाकर भीख में अनाज मांगकर लाते थे फिर उसी अनाज को बाजार में बेच कर जो पैसे उन्हें मिलते उससे जैसे-तैसे अपने घरवालों का पालन पोषण करते  रेणुका भीख मांगने में अपने पिता की मदद करते तब परिवार की हालत इतनी खराब हो गई की 6th क्लास के बाद एक पुजारी होने के नाते रोज पूजा पाठ करने के बाद भी उन्हें कई घरों में जाकार नौकर की तरह काम करना पड़ता.
पिता ने जल्द ही रेणुका को Chikpet के आश्रम में डाल दिया जहां उन्हें वेद और संस्कृत की पढ़ाई करनी पड़ती थी और सिर्फ 2 वक्त ही भोजन मिलता एक सुबह 8 बजे और एक रात को 8 बजे जिससे वे भूखे ही रह जाते और पढाई पर ध्यान नहीं दे पाते पेट भरने के लिए वे पूजा, शादी वा समारोह में जाना चाहते थे जिसके लिए उन्हें अपने seniors के व्यक्तिगत कामों को करना पड़ता था परिणाम स्वरुप वो दसवीं कक्षा में fail हो गए.
उनके बड़े भाई के घर छोड़ देने से और पिता के देहांत के बाद अपनी माँ और बहन की ज़िम्मेदारीयां उनके कंधे पर आ गई पर उन्होंने ये दिखा दिया की मुसीबत की घड़ी में भी वह अपनी जिम्मेदारियों से भी मुह नहीं मोडेंगे और इसी के साथ वे निकल पड़े आजीविका कमाने की बहुत लम्बी लड़ाई जिसमे उन्हें कई मुसीबतों का सामना कर करवट ली जब उन्होंने सब कुछ  छोड़ कर एक ड्राईवर बनने का फैसला लिया पर उनके पास ड्राइविंग
सीखने के लिए भी पैसे नहीं थे इसीलिए उन्होंने कुछ उधार लेकर अपनी शादी की अंगूठी को गिरवी रख कर ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर लिया इसके बाद उन्हें लगा की अब सब कुछ ठीक हो जायगा पर किस्मत ने उन्हें एक और झटका दिया जब एक छोटे से गाड़ी के एक्सीडेंट की वजह से अपनी पहली ड्राइविंग की नौकरी से कुछ ही घंटो में हाथ धोना पड़ा पर एक टैक्सी operator ने उन्हें एक मौका और दिया और बदले में रेणुका ने बिना पैसे लिए इनके लिए गाड़ी चलाई ताकि वे खुद को साबित कर सकें.
वे दिन भर काम करते और रात भर गाड़ी चलाने का प्रयास करते और वे अपनी यात्रियों का हमेशा ख्याल रखते जिससे उन पर लोगों  का विश्वास जागता गया और ड्राईवर के रूप में उनकी मांग बढती गई उन्होंने ठान लिया था चाहे जो हो जाय में दिन भर security guard का काम नहीं करूँगा और एक अच्छा ड्राईवर बनकर रहूँगा.


यात्रियों के अलावा हॉस्पिटल से लाशों को उनके घर तक भी पहुंचाया करते थे ये कहते है की लाशों को उनके घर तक पहुंचाने और उसके तुरंत बाद यात्रियों को तीर्थ ले जाने में उनको बहुत बड़ी सीख मिली जीवन और मौत एक लम्बी यात्रा के दो छोर है और यदि आपको जीवन में सफल होना है तो किसी भी मौके को जानें ना दे इसके बाद पहले दो चार साल तक एक ट्रेवल company में काम करते रहे उसके बाद वे उस ट्रेवल company को छोड़ कर दूसरी ट्रेवल company में चले गए जहा उन्हें विदेशी  यत्रियों को घुमाने का मौका मिला विदेशी यात्री से डोलर में tip मिलती थी लगातार 4 सालों तक ऐसे ही tip  मिलते-मिलते और अपनी पत्नी की pf की मदद से उन्होंने कुछ और लोगो के साथ मिलकर 'सिटी सफारी' नाम की एक company खोल ली और आगे चलकर इसी company में वे मेनेजर भी बन गए.
शायद उनकी जगह अगर कोई और होता तो इतने में ही संतुष्ट हो जाता पर उन्होंने अपनी सीमाओं को परखने की ठान राखा था इसीलिए लोन पर उन्होंने एक 'Indica car' ली जिसके सिर्फ डेढ़ साल बाद ही एक और कार ले ली.
इन्ही कारों की मदद से 2 साल तक उन्होंने 'स्पॉट सिटी टैक्सी' में काम किया लेकिन उन्होंने सोचा ''अभी मेरी मंजिल दूर है और मुझे खुद की एक ट्रेवल/ट्रांसपोर्ट company बनानी है''
और भाई... किस्मत भी हिम्मत वालों का ही साथ देती है तो ऐसे ही कुछ रेणुका जी के साथ भी हुआ जब उन्हें पता चला कि 'इंडियन सिटी टैक्सी' बिकने वाली है. तो रेणुका ने सन 2006 में उस company को 6,50,000 रुपयों में खरीद ली, जिसके लिए उन्हें अपने सभी कारों को बेचना पड़ा और उन्होंने उस company का नाम बदलकर 'प्रवासी कैब्स' रख लिया. और उसके बाद वे सफलता की सीडी चढ़ते गए और उन्होंने इस फैसले के बारे में कहा ''मेने अपने जीवन का सबसे बड़ा जोखिम लिया, पर वही जोखिम आज मुझे कहाँ से कहाँ लेकर आ गया'' सबसे पहले 'अमेज़न इंडिया' ने प्रमोशन के लिए रेणुका की company को चुना. उसके बाद अपनी company को आगे बढाने में रेणुका ने जान लगा दि. धीरे-धीरे उनके और भी कई नामी-ग्रामी ग्राहक बन गए जैसे walmart, general motors,akamai etc... और उसके बाद उन्होंने क पीछे मुड़ कर नहीं देखा और सफलता की सीडी चढ़ते गए पर उन्होंने कभी सीखना बंद नहीं किया और उनकी company इतनी मजबूत हो गई की जहां कई और टैक्सी कंपनियाँ 'ola' और 'uber' के आने से बंद हो गई, और रेणुका की company फिर भी सफलता की ओर आगे बढ़ रही है आज उनकी company की 1000 से ज्यादा कारें चलती है.


और आज वो 3 startup के director है और 3 सालों में उनका 100 करोड़ के आंकड़े  को छूने की उम्मीद है, जिसके बाद वो IPO की ओर आगे बढ़ेंगे. कोन सोच सकता था की बचपन में घर-घर जाकर अनाज मांगने वाला लड़का जो 10 वीं कक्षा में fail हो गया था जिसके पास खुद का एक रूपए भी नही था आज वो 30 करोड़ का मालिक है.
हम आशा करते है की आपको भी ये story अच्छी लगी होगी और आपको इस story से मदद मिल पायगी अपनी लाइफ में अपनी मंजिल को पाने के लिए.


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