सीख देनी वाली 2 मजेदार कहानिया Hindi stories with moral values
इस पोस्ट में आप लिए हम लाये है panchatantra short stories in hindi और best motivational story in hindi और very short story in hind.इस पोस्ट कहानिया दि गयी है जो आप को मोरल सीख देंगी.
एक बार एक गाँव में बहुत बड़ा अकाल पड़ा लोग भूखे मरने लगे उस गाँव से जुडे हुए नगर में एक बहुत ही
परोपकारी और दयालु सेठ रहता था.
गाँव वालो की मदद के लिए रोज रोटी बटवाता था.जब उस सेठ के नौकररोटी बाटते तो रोज धक्का -मुक्की मच जाती.हर कोई पहले लेने की कोशिस करता और एक-दुसरे को धक्का देता.
सेठ अकसर देखता था की एक लड़की रोज चुपचाप कड़ी रहती है और सब से लास्ट में जाती.उसके हिस्से में सिर्फ कुछ टुकडे ही आते थे .एक दिन ऐसे ही वो जब रोटी के टुकड़े को ले के गयी और अपनी माँ को दिया तब उसमे से एक सोने का टुकड़ा मिला और उसने अपनी माँ से कहा "माँ ये रोटी से क्या निकला?"
उसकी माँ बोली से "बेटा ये सोने का टुकड़ा है शायद ये गलती से गिर गया होगा तब कल जब रोटी लेने जाना तब उस सेठ को"
ये सोने का टुकड़ा वापस कर देना .अगले दिन वो गयी और उसने कहा "कल रोटी से ये सोने का टुकड़ा मिला माँ ने कहा शायद ये गलती से गिर गया होगा ,माँ ने कहा की आप को वापस कर दू"
तब सेठ ने कहा "नहीं बेटी ये टुकड़ा तुम्हरा ही है ये तुम्हरे उस संतोष का फल है जो तुम यहाँ रोटी लेते वक़त करती हो'"
तब उस लड़की ने कहा "नहीं-नहीं मेरे संतोष के फल ये है की मुझे रोटी लेते वक़त धक्का नहीं खाना पड़ता है आप इसे वापस ले लों"
सेठ ने उस सिक्के को वापस ले लिया और अगले दिन उस लड़की की और उसकी माँ की ज़िम्मेदारी पूरी अपने ऊपर ले ली.
इस से आप को क्या सीख मील कभी भी अपनी नियत ख़राब ना करे .
लेकिन एक बार दोनों में किसी बात को ले के झगडा हो गया और बात मार-पीट तक आ गयी.
भैंस के सींग नुकीले थे वो लगातार उस से घोड़े पे वार कर रही थी.
घोड़े के पास उस समय जान बचाकर भागने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था और भाग के जंगल के बाहर आ गया.तब उसे एक इन्सान मिला और घोडा बोला "मनुष्य जी मेरी भैंस से लड़ाई हो गयी है और उसने मुझे अपनी सींग से बहुत मारा है ,कृपा कर के आप उसे सबक शिखा दो"
तब से इन्सान ने कहा "जब तुम उस नहीं जीत पाये तो मै कैसे उस से जीत पाउँगा"
तब घोड़े ने कहा "आप उसकी टेंशन मत लो बस आप एक लाठी ले आओ और मेरे पीठ पर बैठ जाओ फिर आप उस भैंस की अच्छे से धुलाई कर देना और पकड कर अपने साथ ले जाना "
तब इन्सान ने कहा "भला में उस भैंस का क्या करूँगा?"
घोड़े ने कहा "अरे भाई भैंस दूध देती है उसे पकड़ के ले जाना और रोज दूध पीना"
मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली और उसके साथ जंगल में आ गया और अपनी लाठी से उस भैंस को खूब पीटा और अपने साथ ले आया.
तब घोड़े में कहा "मनुष्य आप का बहुत-बहुत धन्यवाद अब मै चलता हु"
मनुष्य हस पड़ा और बोला तुम कहा जाते हो "अब तुम मेरे कब्जे में हो तुम्हारी पीठ पे बैठ कर ही तो मुझे पता चला की तुम कितने काम के हो" और उसने घोड़े को भी बांध लिया.
दोस्ती में अनबन और लड़ाई हो सकती है लेकिन कभी-भी किसी तीसरे को अपनी लड़ाई में ना आने दे.
उस समय 50000 बहुत बड़ी रकम होती थी.एक बार पुलिस उस डाकू का पीछा कर रही थी.डाकू दिलबर
पुलिस से बचते हुए भाग रहा था .
उसके सभी साथी उस से बिचड गये थे और पूरी तरह अकेला था.गर्मी के दिन थे उसका प्यास से बहुत बुरा हाल था उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे तभी उसे एक मंदिर दिखाई दियावो वहा पे गया लेकिन उसे पानी की एक बूंद भी नहीं मिली.
तभी उसने एक वृद्ध महिला को देखा जो मंदिर में प्रसाद और जल चडाने आई तब उस डाकू ने कहा"माता मै बहतु प्यासा हु क्या मुझे पानी मिल सकता है ?"
तब उस बुडिया ने कहा "बेटा ये पानी तो मै चडाने के लिए लायी हु पर तुम ये पि लो मै फिर से दुबारा पानी ला के इस मंदिर पे चडा दूंगी और उसने वो प्रसाद और जल उस डाकू को दे दिया"
डाकू दिलबर ने प्रसाद खा के पानी पिया और पूछा "माँ तुम इतनी दूर से यहाँ पे जल चडाने क्यों आती हो?गाँव में भी तो मंदिर है?"
तब बुडिया ने कहा "ये मंदिर और शिवालय मेरे बेटे का बनाया हुआ है मेरे बेटे और बहु की मौत एक दुर्घटना में हो गयी थी उनकी एक बेटी थी जिसको मैंने पाल-पोस कर बड़ा किया है अगली महीने में उसकी शादी है"
डाकू दिलबर ने कहा "तब तो शादी के पूरी तैयारी चल रही होगी? "
तब बुडिया ने कहा "बेटा जिनके सहारे में शादी करने वाली थी वो सब अब मुकर गये है कोई मदद को तैयार नहीं है"
डाकू दिलबर ने कहा "तुम चिन्ता ना करो माँ ,मै तुम्हारे पानी का कर्जदार हो गया हु और इसका कर्ज जरुर उतारूंगा तुम घर जाओ सारी तैयारी हो जायेगी"
ये बात आकर बुडिया ने गाँव के कुछ लोगो को बताया और ये बात वहा के मुखिया को भी पता चली.
गाँव का मुखिया समझ गया था की ये कोई और नहीं डाकू दिलबर है और उसने इनाम के लालच में पुलिस को बता दिया .
शादी के 2 दिन पहले बुडिया के घर पे 5 बैलगाड़ी भर के खाने-पिने का सामान और कपडे लद के आया
बुडिया समझ गयी थी ये सब उसी ने भिजवाया है जिसको उसने पानी पिलाया था .
शादी वाले दिन जब डाकू दिलबर गाँव जा रहा था तब साथियों ने उसको बताया की वहा जाना ठीक नहीं है ,वहा पे पुलिस ने पहले से कब्ज़ा कर रखा है ,लेकिन डाकू दिलबर नहीं माना और घोड़े पे बैठ के चल दिया और उसने बुडिया की बेटी का कन्यादान किया.
लेकिन जब वो वापस आ रहा था तब पुलिस उसके पीछे पड़ गयी और खूब भागा लेकिन पुलिस की गोली उसको
लग गयी थी.जब वो जंगल में गया तो उसकी मौत हो गयी लेकिन वो खुश था क्यों की उसने अपना वादा निभाया था.
अच्छा काम करते हुए बिलकुल भी ना डरे
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कहानी-1 अपनी नियत हमेशा साफ़ रखे
एक बार एक गाँव में बहुत बड़ा अकाल पड़ा लोग भूखे मरने लगे उस गाँव से जुडे हुए नगर में एक बहुत ही
परोपकारी और दयालु सेठ रहता था.
गाँव वालो की मदद के लिए रोज रोटी बटवाता था.जब उस सेठ के नौकररोटी बाटते तो रोज धक्का -मुक्की मच जाती.हर कोई पहले लेने की कोशिस करता और एक-दुसरे को धक्का देता.
सेठ अकसर देखता था की एक लड़की रोज चुपचाप कड़ी रहती है और सब से लास्ट में जाती.उसके हिस्से में सिर्फ कुछ टुकडे ही आते थे .एक दिन ऐसे ही वो जब रोटी के टुकड़े को ले के गयी और अपनी माँ को दिया तब उसमे से एक सोने का टुकड़ा मिला और उसने अपनी माँ से कहा "माँ ये रोटी से क्या निकला?"
उसकी माँ बोली से "बेटा ये सोने का टुकड़ा है शायद ये गलती से गिर गया होगा तब कल जब रोटी लेने जाना तब उस सेठ को"
ये सोने का टुकड़ा वापस कर देना .अगले दिन वो गयी और उसने कहा "कल रोटी से ये सोने का टुकड़ा मिला माँ ने कहा शायद ये गलती से गिर गया होगा ,माँ ने कहा की आप को वापस कर दू"
तब सेठ ने कहा "नहीं बेटी ये टुकड़ा तुम्हरा ही है ये तुम्हरे उस संतोष का फल है जो तुम यहाँ रोटी लेते वक़त करती हो'"
तब उस लड़की ने कहा "नहीं-नहीं मेरे संतोष के फल ये है की मुझे रोटी लेते वक़त धक्का नहीं खाना पड़ता है आप इसे वापस ले लों"
सेठ ने उस सिक्के को वापस ले लिया और अगले दिन उस लड़की की और उसकी माँ की ज़िम्मेदारी पूरी अपने ऊपर ले ली.
इस से आप को क्या सीख मील कभी भी अपनी नियत ख़राब ना करे .
कहानी-2 अपने बीच तीरसे को जगह ना दे
एक जंगले में बहुत सारे जानवर रहते थे उन्ही में एक थी भैंस और एक था घोडा दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी.लेकिन एक बार दोनों में किसी बात को ले के झगडा हो गया और बात मार-पीट तक आ गयी.
भैंस के सींग नुकीले थे वो लगातार उस से घोड़े पे वार कर रही थी.
घोड़े के पास उस समय जान बचाकर भागने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था और भाग के जंगल के बाहर आ गया.तब उसे एक इन्सान मिला और घोडा बोला "मनुष्य जी मेरी भैंस से लड़ाई हो गयी है और उसने मुझे अपनी सींग से बहुत मारा है ,कृपा कर के आप उसे सबक शिखा दो"
तब से इन्सान ने कहा "जब तुम उस नहीं जीत पाये तो मै कैसे उस से जीत पाउँगा"
तब घोड़े ने कहा "आप उसकी टेंशन मत लो बस आप एक लाठी ले आओ और मेरे पीठ पर बैठ जाओ फिर आप उस भैंस की अच्छे से धुलाई कर देना और पकड कर अपने साथ ले जाना "
तब इन्सान ने कहा "भला में उस भैंस का क्या करूँगा?"
घोड़े ने कहा "अरे भाई भैंस दूध देती है उसे पकड़ के ले जाना और रोज दूध पीना"
मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली और उसके साथ जंगल में आ गया और अपनी लाठी से उस भैंस को खूब पीटा और अपने साथ ले आया.
तब घोड़े में कहा "मनुष्य आप का बहुत-बहुत धन्यवाद अब मै चलता हु"
मनुष्य हस पड़ा और बोला तुम कहा जाते हो "अब तुम मेरे कब्जे में हो तुम्हारी पीठ पे बैठ कर ही तो मुझे पता चला की तुम कितने काम के हो" और उसने घोड़े को भी बांध लिया.
दोस्ती में अनबन और लड़ाई हो सकती है लेकिन कभी-भी किसी तीसरे को अपनी लड़ाई में ना आने दे.
कहानी-3 पानी का कर्ज
दिलबर एक बहुत ही खतरनाक डाकू था उसके ऊपर सरकार ने 50000 का इनाम घोषित किया था .उस समय 50000 बहुत बड़ी रकम होती थी.एक बार पुलिस उस डाकू का पीछा कर रही थी.डाकू दिलबर
पुलिस से बचते हुए भाग रहा था .
उसके सभी साथी उस से बिचड गये थे और पूरी तरह अकेला था.गर्मी के दिन थे उसका प्यास से बहुत बुरा हाल था उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे तभी उसे एक मंदिर दिखाई दियावो वहा पे गया लेकिन उसे पानी की एक बूंद भी नहीं मिली.
तभी उसने एक वृद्ध महिला को देखा जो मंदिर में प्रसाद और जल चडाने आई तब उस डाकू ने कहा"माता मै बहतु प्यासा हु क्या मुझे पानी मिल सकता है ?"
तब उस बुडिया ने कहा "बेटा ये पानी तो मै चडाने के लिए लायी हु पर तुम ये पि लो मै फिर से दुबारा पानी ला के इस मंदिर पे चडा दूंगी और उसने वो प्रसाद और जल उस डाकू को दे दिया"
डाकू दिलबर ने प्रसाद खा के पानी पिया और पूछा "माँ तुम इतनी दूर से यहाँ पे जल चडाने क्यों आती हो?गाँव में भी तो मंदिर है?"
तब बुडिया ने कहा "ये मंदिर और शिवालय मेरे बेटे का बनाया हुआ है मेरे बेटे और बहु की मौत एक दुर्घटना में हो गयी थी उनकी एक बेटी थी जिसको मैंने पाल-पोस कर बड़ा किया है अगली महीने में उसकी शादी है"
डाकू दिलबर ने कहा "तब तो शादी के पूरी तैयारी चल रही होगी? "
तब बुडिया ने कहा "बेटा जिनके सहारे में शादी करने वाली थी वो सब अब मुकर गये है कोई मदद को तैयार नहीं है"
डाकू दिलबर ने कहा "तुम चिन्ता ना करो माँ ,मै तुम्हारे पानी का कर्जदार हो गया हु और इसका कर्ज जरुर उतारूंगा तुम घर जाओ सारी तैयारी हो जायेगी"
ये बात आकर बुडिया ने गाँव के कुछ लोगो को बताया और ये बात वहा के मुखिया को भी पता चली.
गाँव का मुखिया समझ गया था की ये कोई और नहीं डाकू दिलबर है और उसने इनाम के लालच में पुलिस को बता दिया .
शादी के 2 दिन पहले बुडिया के घर पे 5 बैलगाड़ी भर के खाने-पिने का सामान और कपडे लद के आया
बुडिया समझ गयी थी ये सब उसी ने भिजवाया है जिसको उसने पानी पिलाया था .
शादी वाले दिन जब डाकू दिलबर गाँव जा रहा था तब साथियों ने उसको बताया की वहा जाना ठीक नहीं है ,वहा पे पुलिस ने पहले से कब्ज़ा कर रखा है ,लेकिन डाकू दिलबर नहीं माना और घोड़े पे बैठ के चल दिया और उसने बुडिया की बेटी का कन्यादान किया.
लेकिन जब वो वापस आ रहा था तब पुलिस उसके पीछे पड़ गयी और खूब भागा लेकिन पुलिस की गोली उसको
लग गयी थी.जब वो जंगल में गया तो उसकी मौत हो गयी लेकिन वो खुश था क्यों की उसने अपना वादा निभाया था.
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