बुद्ध जी की प्रेरक कहानिया जो आप के जीवन को बदल देंगी inspirational stories in Hindi
real life inspirational stories in Hindi और motivational story in Hindi for success या फिर आप खोज रहे है gautam buddha ki prerak kahaniya तो इस पोस्ट में आप को ये सब मिलेगा.
इसमें आप को hindi short stories in Hindi language with morals भी मिल जायेगा.इस पोस्ट में 4 प्रेरक कहानिया दी गयी है.
वो भगवान बुद्ध के पास गया और बोला "हे भगवान मै एक किसान हु मुझे खेती करना अच्छा लगता है लेकिन कभी भी वर्षा अच्छी मात्रा में नहीं होती है और मेरी फसल ख़राब हो जाती है.पिछले साल भी मेरे पास खाने को कुछ नहीं था और इस बार जब मैंने फसल लगायी तो बहुत अधिक वर्षा हुई.इसके कारण मेरी फसल को बहुत नुकसान पंहुचा अभी मेरे पास खाने को कुछ नहीं है मेरी बीवी और मेरे बच्चे भी है मै उनसे बहुत प्यार करता हु लेकिन कभी-कभी वो मेरी बात नहीं सुनते है तो लगता है की ये मेरे बच्चे ही ना होते"
ऐसे ही बहुत सारे दिक्कत उस किसान ने भगवान बुद्ध को बताया. और फिर आखिरी में उसके पास कोई
परेशानी नहीं बची और वो चुप हो गया.
भगवान बुद्ध उसकी सारी परेशानी चुपचाप सुनते रहे तब किसान ने कहा "आप मेरी सहायता करे और मुझे इसका उपाय बताये"
तब भगवान बुद्ध ने कहा "मेरे पास इसका कोई समाधान नहीं है ".
ये सुनकर किसान चौक गया और उसने कहा की "सभी कहते है की आप सभी के दुखो का निवारण कर देते है तो क्या आप मेरे दुखो को निवारण नहीं करेंगे .इसलिये क्यों की मै
एक गरीब किसान हु".
तब बुद्ध भगवान ने कहा "सभी के जीवन में परेशानिया है ,तुम्हारे जीवन में कोई नई कठनाई नहीं है
ये दिक्कते तो सभी के जीवन में आती और जाती है ,कभी इन्सान सुखी होता है कभी दुखी होता है ,कभी-कभी उसे अपने पराये लगते है,कभी-कभी पराये अपने लगने लगते है,ये जीवन चक्र है इनसे कोई नहीं निकल सकता है.तुम इनका समाधान नहीं कर सकता है अगर तुम किसी एक दिक्कत का समाधान कर लो तो एक नई दिक्कत आ जाएगी इसलिये ये दिक्कते हमेशा बनी रहेंगी."
किसान बहुत गुस्सा हो गया और गुस्से में बोला की आप किसी काम के नहीं हो लोग बोलते रहते है की आप भगवान हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं है .आप से अच्छे तो वो साधू थे जो मेरे घर आये थे मेरे घर पे पूजा
करायी और दान लिया उस से मुझे अपार शांति मिली थी .इसके बाद हमारे जीवन में कुछ दुःख भी कम हुए और सुख भी आये थे.लेकिन आप ने तो मुझे कोई भी समाधान नहीं बताया.
तब बुद्ध भगवान ने कहा "क्या तुम्हरे वो सब पूजा-पाठ करने से तुम्हारे सारे दुःख ख़त्म हो गये? ,क्या तुम आज पहले से भी जादा दुःख में नहीं हो? ये दुःख कभी नहीं खत्म हो सकते है ."
तब किसान ने कहा "क्या में ये मान लू की आप मेरी कोई मदद नहीं कर सकते है?"
तब भगवान बुद्ध ने कहा तुम ये नहीं चाहते की तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई दिक्कत हो इसलिये इतनी सारी दिक्कतों का जन्म हुआ है,अगर तुम इस बात को मान लो की जीवन में दिक्कते होती है ,सभी के जीवन में कोई ना कोई दिक्कत होती है,तुम सोचते हो की तुम इस दुनिया में सब से अधिक दुखी हो ,तुम अपने आस-पास दुसरे लोगो को देखो और फिर देखो क्या सब सुखी है ?,हर इन्सान को अपना दुःख सब से बड़ा लगता है उसे लगता है उस से जादा परेशानी किसी के जीवन में नहीं है.दुःख आता और जाता ये जीवन चक्र है.तुम अगर ध्यान से देखो तो पाओगे की जीवन सुख और दुख से भरा है.
अगर तुम सुख और दुख से ऊपर उठना चाहते हो तो मै ये कर सकता हु.वो किसान बुद्ध के पैरो में गिर पड़ा और बोला अब मै पूर्ण रूप से जीवन का आनंद लूँगा और सुख-दुःख के फेरे मे नहीं पडूंगा
उनकी देखभाल के बोझ ने उसके मन को उथल-पुथल कर दिया था उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे ?
मन की इसी उथल-पुथल में उसने घर छोड़ कर भाग जाने का फैसला कर लिया और घर से भाग गया.
वो इंसान बिना मंजिल के बढता जा रहा था.वो एक जंगल से गुजर रहा था तब नदी के किनारे उसने देखा की भगवान बुद्ध अपने कुछ शिष्य के साथ वहा पे डेरा डाले हुए है.
ये देख कर उसने सोचा की अब वो भगवान बुद्ध का शिष्य बन जायेगा और जा के उनके चरणों में गिर गया और उनसे विनती की उनका शिष्य बनने के लिए.भगवान बुद्ध ने उसे अपना शिष्य बना लिया.उसके बाद जब बुद्ध जी का काफिला आगे बड़ा वो उनके साथ चल लिया गर्मी का महीना था भगवान बुद्ध का काफिला चलता जा रहा था.जब वो सब एक जंगल में पहुचे तब सभी आराम करने के लिए पेड़ो के निचे बैठ गये.
गर्मी के कारण भगवान बुद्ध को बहुत तेज़ की प्यास लगी .इसलिये उन्हों ने अपने नये शिष्य से कहा "यहाँ पे एक सरोवर है तुम वहा से जा के पानी ले आओ"
जब वो नया शिष्य सरोवर के पास गया तो उसने देखा कुछ जंगली जानवर उस सरोवर में उधम मचा रहे है लेकिन जब वो सरोवर के पास पंहुचा तब सभी जानवर डर के भाग गये.उस शिष्य ने पास जा के देखा की सरोवर का पानी काफी गन्दा हो चुका है सरोवर का कीचड़ और सड़े-गले पत्ते बाहर आ गये है .इतना गन्दा पानी देख के वो शिष्य बिना पानी लिए ही वापस आ गया.
और आ कर बोला "भगवान उस सरोवर में तो बहुत ही गन्दा पानी है उसे पिया नहीं जा सकता है "
उसकी बात सुन कर भगवान बुद्ध कुछ नहीं बोले और फिर थोड़ी देर बाद बोले जाओ उसी सरोवर से पानी ले के आओ.
वो आदेश मान कर पानी लेने चल पड़ा लेकिन पूरे रास्ते यही सोचता रहा की इतना गन्दा पानी भगवान बुद्ध कैसे पियेंगे?
लेकिन जब वो सरोवर के पास पंहुचा तो ये देख के चौक गया की सरोवर का पानी निर्मल और साफ़ हो गया है
इसलिये वो पानी ले के उनके पास आया.और उनसे ये सवाल किया आखिर ये कैसे हुआ?
तब भगवान बुद्ध ने कहा "जब जानवर उसमे उधम मचा रहे थे तब कीचड़ बाहर आ गया था लेकिन जब पानी शांत हुई तब कीचड़ निचे बैठ गया और पानी निर्मल हो गया, ऐसी ही हमारी मन की स्थिति होती है हम जीवन की कठनाई से परेशान हो कर कभी-2 गलत फैसला ले लेते है क्यों की ज़िन्दगी की भाग दौड़ हमारे मन में उथल-पुथल पैदा कर देती है और उस अवस्था में हम गलत फैसला कर लेते है लेकिन अगर हम कोई भी फैसला लेने से पहले अपने मन को शांत और अच्छा रखे तो हम अच्छा फैसला लेंगे जिस से हमारा कल्याण होगा"
ये बात उस शिष्य को समझ आ गयी और उसने शांत हो कर जब सोचा तब उसको ये बात समझ आयी की उसका घर छोड़ना गलत फैसला था और वो भगवान बुद्ध को प्रणाम कर के वापस अपने घर चला गया
एक बार भगवान बुद्ध और उनके शिष्य एक राज्य में गये जहा की रानी बहुत ही कूरू थी.जो जनता पे बहुत अत्याचार करती हथी.ये पता होते हुए भी भगवान बुद्ध उस राज्य में गये और जब ये बात उस रानी को
पता चली तो वो बहुत गुस्सा हो गयी और उसने अपने सेवको से कहा की वो जाकर बुद्ध जी क अपमान करे और उनका अनादर करे जिस से वो राज्य छोड़कर भाग जाये.
जैसे ही बुद्ध जी ने राज्य पे प्रवेश किया उन लोगो ने बुद्ध जी को उल्टा-सीधा बोलना शुरु कर दिया और लोगो के मन में उनके प्रति अनादर की भावना पैदा कर दी.
इससे उस नगर का हर इन्सान बुद्ध जी की आलोचना करने लगा और उन्हें ढोंगी कहने लगा लेकिन इतना सब कुछ सुनकर पर भी वो चंद्रमा के सामान शांत रहे.बुद्ध जी का इतना अपमान देख कर उनके शिष्य को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने कहा
"इस नगर को छोड़ कर हमे चले जाना चाहयिए जहा पे हमरा अपमान न हो ,जहा पे हमारी कीर्ति हो ,जहा पे लोग हमे पूजे."
बुद्ध जी ने अपने शिष्य की बात ध्यान से सुनी और बोले "जरुरी नहीं है की हर जगह पे लोग तुम्हारा आदर करेंगे अगर किसी भी स्थान पे आपका अनादर होता है तो उस स्थान को तब तक नहीं छोड़ना चाहयिए जब तक वहा के लोग आप का आदर ना करने लगे ,मनुष्य के जीवन में अपमान और आलोचना का बहुत बड़ा महत्व है ,अपमान और आलोचना ही आप की सफलता की सीड़ी है,अगर आप अपमान और आलोचना की सीड़ी पे चड़ने से डरेंगे तो आप कभी सफल नहीं हो सकते है,अपमान और आलोचना का डट कर और हस कर सामना करना चाहयिए,अगर आपका कोई अपमान करता है तो बदले में आप को उसका अपमान नहीं करना चाहयिए,आप को शांत रह कर उसका सामना करना चाहयिए और बदले उस इन्सान को सम्मान दे.अगर आप लोगो की आलोचना से डर कर भाग जाओगे तो आप कभी भी सफल नहीं हो सकते है ,अपमान और आलोचना का सामना तो खुद भगवान राम ने किया है इसलिये हमे कभी भी इनसे डरना नहीं चाहयिए,एक दिन आप सफल होंगे"
भगवान बुद्ध भी कई दिन तक लोगो का अपमान सहते रहे लेकिन उनका तेज़ सुर्य के सामान था लोगो को और रानी को अपनी गलती का एहसास हुआ और सब ने उनसे माफ़ी मांगी और उनके भक्त बन गये .
और खुशी-खुशी लौट जाते.
उसी गाँव के सडक किनारे एक गरीब किसान रहता था और वो बुद्ध जी के सिबिर में आने -जाने वाले लोगो को ध्यान से देखता था.उसे बहुत अचम्भा होता था की जब कोई इन्सान सिबिर में जाता है तो बहुत दुखी होकर जाता है लेकिन जब वापस आता है तो बहुत खुशी से आता है.
उस गरीब को लगा क्यों ना वो भी अपनी दिक्कत बुद्ध जी को बताये ?
वो भी सिबिर में गया और बुद्ध जी से मिलने के लिए लाइन में लग गया और जल्दी ही उसका नंबर आ गया .
उसने बुद्ध जी को प्रणाम किया और बोला "भगवान इस गाँव में सभी लोगो खुस और धनी है फिर मै ही गरीब हु क्यों हु?"
तब भगवान बुद्ध हसकर बोले "तुम इतने गरीब इसलिये हो क्यों की तुमने खुद कभी किसी को कुछ नहीं दिया "
इस पर गरीब आदमी बोला "भगवान मेरे पास देने को क्या है ?मेरा तो खुद का गुजारा बहुत मुश्किल से होता है मै दुसरो को क्या दूंगा?लोगो से भीख मांग कर अपना गुजारा करता हु"
तब भगवान बुद्ध बोले "तुम्हे दुसरो के साथ बाटने के लिए भगवान ने और भी कुछ दिया है मुख दिया हुआ ताकि तुम 2 मीठे शब्द बोल सको और 2 हाथ दिया है जिस से तुम लोगो की मदद कर सकते हो जिनको भगवान ने ये चीज़े दी है वो कभी गरीब नहीं हो सकता है ,इन्सान गरीब अपने मन से होता है,इस भ्रम को अपने मन से निकाल दो की तुम गरीब हो"
ये बात सुनकर वो इंसान खुस हो गया और इस उद्देश को अपने जीवन में उतारा और वो बहुत खुस रहने लगा.
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इसमें आप को hindi short stories in Hindi language with morals भी मिल जायेगा.इस पोस्ट में 4 प्रेरक कहानिया दी गयी है.
Motivational Kahani-1
एक किसान अपने दुखो से बहुत दुखी था किसी ने उसको बताया की वो भगवान बुद्ध के पास जाये और उसके सारे दुःख दूर कर देंगे.उस किसान को लग रहा था भगवान बुद्ध उसे सारी दिक्कतों से निकाल देंगे .वो भगवान बुद्ध के पास गया और बोला "हे भगवान मै एक किसान हु मुझे खेती करना अच्छा लगता है लेकिन कभी भी वर्षा अच्छी मात्रा में नहीं होती है और मेरी फसल ख़राब हो जाती है.पिछले साल भी मेरे पास खाने को कुछ नहीं था और इस बार जब मैंने फसल लगायी तो बहुत अधिक वर्षा हुई.इसके कारण मेरी फसल को बहुत नुकसान पंहुचा अभी मेरे पास खाने को कुछ नहीं है मेरी बीवी और मेरे बच्चे भी है मै उनसे बहुत प्यार करता हु लेकिन कभी-कभी वो मेरी बात नहीं सुनते है तो लगता है की ये मेरे बच्चे ही ना होते"
ऐसे ही बहुत सारे दिक्कत उस किसान ने भगवान बुद्ध को बताया. और फिर आखिरी में उसके पास कोई
परेशानी नहीं बची और वो चुप हो गया.
भगवान बुद्ध उसकी सारी परेशानी चुपचाप सुनते रहे तब किसान ने कहा "आप मेरी सहायता करे और मुझे इसका उपाय बताये"
तब भगवान बुद्ध ने कहा "मेरे पास इसका कोई समाधान नहीं है ".
ये सुनकर किसान चौक गया और उसने कहा की "सभी कहते है की आप सभी के दुखो का निवारण कर देते है तो क्या आप मेरे दुखो को निवारण नहीं करेंगे .इसलिये क्यों की मै
एक गरीब किसान हु".
तब बुद्ध भगवान ने कहा "सभी के जीवन में परेशानिया है ,तुम्हारे जीवन में कोई नई कठनाई नहीं है
ये दिक्कते तो सभी के जीवन में आती और जाती है ,कभी इन्सान सुखी होता है कभी दुखी होता है ,कभी-कभी उसे अपने पराये लगते है,कभी-कभी पराये अपने लगने लगते है,ये जीवन चक्र है इनसे कोई नहीं निकल सकता है.तुम इनका समाधान नहीं कर सकता है अगर तुम किसी एक दिक्कत का समाधान कर लो तो एक नई दिक्कत आ जाएगी इसलिये ये दिक्कते हमेशा बनी रहेंगी."
किसान बहुत गुस्सा हो गया और गुस्से में बोला की आप किसी काम के नहीं हो लोग बोलते रहते है की आप भगवान हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं है .आप से अच्छे तो वो साधू थे जो मेरे घर आये थे मेरे घर पे पूजा
करायी और दान लिया उस से मुझे अपार शांति मिली थी .इसके बाद हमारे जीवन में कुछ दुःख भी कम हुए और सुख भी आये थे.लेकिन आप ने तो मुझे कोई भी समाधान नहीं बताया.
तब बुद्ध भगवान ने कहा "क्या तुम्हरे वो सब पूजा-पाठ करने से तुम्हारे सारे दुःख ख़त्म हो गये? ,क्या तुम आज पहले से भी जादा दुःख में नहीं हो? ये दुःख कभी नहीं खत्म हो सकते है ."
तब किसान ने कहा "क्या में ये मान लू की आप मेरी कोई मदद नहीं कर सकते है?"
तब भगवान बुद्ध ने कहा तुम ये नहीं चाहते की तुम्हारी ज़िन्दगी में कोई दिक्कत हो इसलिये इतनी सारी दिक्कतों का जन्म हुआ है,अगर तुम इस बात को मान लो की जीवन में दिक्कते होती है ,सभी के जीवन में कोई ना कोई दिक्कत होती है,तुम सोचते हो की तुम इस दुनिया में सब से अधिक दुखी हो ,तुम अपने आस-पास दुसरे लोगो को देखो और फिर देखो क्या सब सुखी है ?,हर इन्सान को अपना दुःख सब से बड़ा लगता है उसे लगता है उस से जादा परेशानी किसी के जीवन में नहीं है.दुःख आता और जाता ये जीवन चक्र है.तुम अगर ध्यान से देखो तो पाओगे की जीवन सुख और दुख से भरा है.
अगर तुम सुख और दुख से ऊपर उठना चाहते हो तो मै ये कर सकता हु.वो किसान बुद्ध के पैरो में गिर पड़ा और बोला अब मै पूर्ण रूप से जीवन का आनंद लूँगा और सुख-दुःख के फेरे मे नहीं पडूंगा
Motivational Kahani-2
बहुत समय की बात है एक किसान अपनी गरीबी से बहुत परेशान हो गया था उसकी बीवी और 2 बच्चे थे.उनकी देखभाल के बोझ ने उसके मन को उथल-पुथल कर दिया था उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे ?
मन की इसी उथल-पुथल में उसने घर छोड़ कर भाग जाने का फैसला कर लिया और घर से भाग गया.
वो इंसान बिना मंजिल के बढता जा रहा था.वो एक जंगल से गुजर रहा था तब नदी के किनारे उसने देखा की भगवान बुद्ध अपने कुछ शिष्य के साथ वहा पे डेरा डाले हुए है.
ये देख कर उसने सोचा की अब वो भगवान बुद्ध का शिष्य बन जायेगा और जा के उनके चरणों में गिर गया और उनसे विनती की उनका शिष्य बनने के लिए.भगवान बुद्ध ने उसे अपना शिष्य बना लिया.उसके बाद जब बुद्ध जी का काफिला आगे बड़ा वो उनके साथ चल लिया गर्मी का महीना था भगवान बुद्ध का काफिला चलता जा रहा था.जब वो सब एक जंगल में पहुचे तब सभी आराम करने के लिए पेड़ो के निचे बैठ गये.
गर्मी के कारण भगवान बुद्ध को बहुत तेज़ की प्यास लगी .इसलिये उन्हों ने अपने नये शिष्य से कहा "यहाँ पे एक सरोवर है तुम वहा से जा के पानी ले आओ"
जब वो नया शिष्य सरोवर के पास गया तो उसने देखा कुछ जंगली जानवर उस सरोवर में उधम मचा रहे है लेकिन जब वो सरोवर के पास पंहुचा तब सभी जानवर डर के भाग गये.उस शिष्य ने पास जा के देखा की सरोवर का पानी काफी गन्दा हो चुका है सरोवर का कीचड़ और सड़े-गले पत्ते बाहर आ गये है .इतना गन्दा पानी देख के वो शिष्य बिना पानी लिए ही वापस आ गया.
और आ कर बोला "भगवान उस सरोवर में तो बहुत ही गन्दा पानी है उसे पिया नहीं जा सकता है "
उसकी बात सुन कर भगवान बुद्ध कुछ नहीं बोले और फिर थोड़ी देर बाद बोले जाओ उसी सरोवर से पानी ले के आओ.
वो आदेश मान कर पानी लेने चल पड़ा लेकिन पूरे रास्ते यही सोचता रहा की इतना गन्दा पानी भगवान बुद्ध कैसे पियेंगे?
लेकिन जब वो सरोवर के पास पंहुचा तो ये देख के चौक गया की सरोवर का पानी निर्मल और साफ़ हो गया है
इसलिये वो पानी ले के उनके पास आया.और उनसे ये सवाल किया आखिर ये कैसे हुआ?
तब भगवान बुद्ध ने कहा "जब जानवर उसमे उधम मचा रहे थे तब कीचड़ बाहर आ गया था लेकिन जब पानी शांत हुई तब कीचड़ निचे बैठ गया और पानी निर्मल हो गया, ऐसी ही हमारी मन की स्थिति होती है हम जीवन की कठनाई से परेशान हो कर कभी-2 गलत फैसला ले लेते है क्यों की ज़िन्दगी की भाग दौड़ हमारे मन में उथल-पुथल पैदा कर देती है और उस अवस्था में हम गलत फैसला कर लेते है लेकिन अगर हम कोई भी फैसला लेने से पहले अपने मन को शांत और अच्छा रखे तो हम अच्छा फैसला लेंगे जिस से हमारा कल्याण होगा"
ये बात उस शिष्य को समझ आ गयी और उसने शांत हो कर जब सोचा तब उसको ये बात समझ आयी की उसका घर छोड़ना गलत फैसला था और वो भगवान बुद्ध को प्रणाम कर के वापस अपने घर चला गया
Motivational Kahani-3
एक बार भगवान बुद्ध और उनके शिष्य एक राज्य में गये जहा की रानी बहुत ही कूरू थी.जो जनता पे बहुत अत्याचार करती हथी.ये पता होते हुए भी भगवान बुद्ध उस राज्य में गये और जब ये बात उस रानी को
पता चली तो वो बहुत गुस्सा हो गयी और उसने अपने सेवको से कहा की वो जाकर बुद्ध जी क अपमान करे और उनका अनादर करे जिस से वो राज्य छोड़कर भाग जाये.
जैसे ही बुद्ध जी ने राज्य पे प्रवेश किया उन लोगो ने बुद्ध जी को उल्टा-सीधा बोलना शुरु कर दिया और लोगो के मन में उनके प्रति अनादर की भावना पैदा कर दी.
इससे उस नगर का हर इन्सान बुद्ध जी की आलोचना करने लगा और उन्हें ढोंगी कहने लगा लेकिन इतना सब कुछ सुनकर पर भी वो चंद्रमा के सामान शांत रहे.बुद्ध जी का इतना अपमान देख कर उनके शिष्य को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने कहा
"इस नगर को छोड़ कर हमे चले जाना चाहयिए जहा पे हमरा अपमान न हो ,जहा पे हमारी कीर्ति हो ,जहा पे लोग हमे पूजे."
बुद्ध जी ने अपने शिष्य की बात ध्यान से सुनी और बोले "जरुरी नहीं है की हर जगह पे लोग तुम्हारा आदर करेंगे अगर किसी भी स्थान पे आपका अनादर होता है तो उस स्थान को तब तक नहीं छोड़ना चाहयिए जब तक वहा के लोग आप का आदर ना करने लगे ,मनुष्य के जीवन में अपमान और आलोचना का बहुत बड़ा महत्व है ,अपमान और आलोचना ही आप की सफलता की सीड़ी है,अगर आप अपमान और आलोचना की सीड़ी पे चड़ने से डरेंगे तो आप कभी सफल नहीं हो सकते है,अपमान और आलोचना का डट कर और हस कर सामना करना चाहयिए,अगर आपका कोई अपमान करता है तो बदले में आप को उसका अपमान नहीं करना चाहयिए,आप को शांत रह कर उसका सामना करना चाहयिए और बदले उस इन्सान को सम्मान दे.अगर आप लोगो की आलोचना से डर कर भाग जाओगे तो आप कभी भी सफल नहीं हो सकते है ,अपमान और आलोचना का सामना तो खुद भगवान राम ने किया है इसलिये हमे कभी भी इनसे डरना नहीं चाहयिए,एक दिन आप सफल होंगे"
भगवान बुद्ध भी कई दिन तक लोगो का अपमान सहते रहे लेकिन उनका तेज़ सुर्य के सामान था लोगो को और रानी को अपनी गलती का एहसास हुआ और सब ने उनसे माफ़ी मांगी और उनके भक्त बन गये .
Motivational Kahani-4
एक समय की बात है एक बार बुद्ध जी एक धर्म सभा को संबोधित कर रहे थे बहुत सारे लोग उनके पास आतेऔर खुशी-खुशी लौट जाते.
उसी गाँव के सडक किनारे एक गरीब किसान रहता था और वो बुद्ध जी के सिबिर में आने -जाने वाले लोगो को ध्यान से देखता था.उसे बहुत अचम्भा होता था की जब कोई इन्सान सिबिर में जाता है तो बहुत दुखी होकर जाता है लेकिन जब वापस आता है तो बहुत खुशी से आता है.
उस गरीब को लगा क्यों ना वो भी अपनी दिक्कत बुद्ध जी को बताये ?
वो भी सिबिर में गया और बुद्ध जी से मिलने के लिए लाइन में लग गया और जल्दी ही उसका नंबर आ गया .
उसने बुद्ध जी को प्रणाम किया और बोला "भगवान इस गाँव में सभी लोगो खुस और धनी है फिर मै ही गरीब हु क्यों हु?"
तब भगवान बुद्ध हसकर बोले "तुम इतने गरीब इसलिये हो क्यों की तुमने खुद कभी किसी को कुछ नहीं दिया "
इस पर गरीब आदमी बोला "भगवान मेरे पास देने को क्या है ?मेरा तो खुद का गुजारा बहुत मुश्किल से होता है मै दुसरो को क्या दूंगा?लोगो से भीख मांग कर अपना गुजारा करता हु"
तब भगवान बुद्ध बोले "तुम्हे दुसरो के साथ बाटने के लिए भगवान ने और भी कुछ दिया है मुख दिया हुआ ताकि तुम 2 मीठे शब्द बोल सको और 2 हाथ दिया है जिस से तुम लोगो की मदद कर सकते हो जिनको भगवान ने ये चीज़े दी है वो कभी गरीब नहीं हो सकता है ,इन्सान गरीब अपने मन से होता है,इस भ्रम को अपने मन से निकाल दो की तुम गरीब हो"
ये बात सुनकर वो इंसान खुस हो गया और इस उद्देश को अपने जीवन में उतारा और वो बहुत खुस रहने लगा.
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