अकबर और बीरबल की मजेदार कहानिया Best akbar birbal stories in Hindi

इस पोस्ट में akbar birbal ki kahani की कहानिया दी गयी है.इसमें आप को Hindi stories with moral akbar and birbal और akbar birbal ki kahaniya Hindi के साथ ही moral stories of akbar and birbal के टॉपिक्स कवर किये हुए है .इस पोस्ट में आप को मजेदार अकबर -बीरबल की कहानिया मिलेगी जिन्हें पढ़-कर आप मन ही मन हस देंगे.

अकबर-बीरबल कहानी -1 

सम्राट अकबर अपनी सभा में ये कह रहे थे की "जो भी इस सभा में आया मैंने उसे न्याय दिया है ये बात सच है की नहीं ?"

सभी हाँ बोला सिर्फ बीरबल को छोड़ कर तभी बाहर से एक सैनिक आया और उसने बहुत अदब से सम्राट को सलाम किया और सम्राट अकबर ने कहा "कहो क्या बात है?"
तब सैनिक ने कहा "एक वृद्ध इन्सान आप से  मिलने आया  है '
तब सम्राट ने कहा "भेजो उसको"
तब उस वृद्ध इन्सान ने कहा की "मै एक टीचर हु और कानून की पढाई सभी लोगो को पढाता हु,कुछ समय पहले एक लड़का मेरे पास आया और उसने कहा मेरे पास पैसे नहीं है लेकिन में कानून पढना चाहता हु "
तब मैंने उस लड़के से कहा "मै तुम्हे कानून की विद्या जुरूर पढ़ाऊँगा लेकिन तुम्हे मेरी गुरु दक्षिणा देनी ही होगी "

उस लड़के के कहा "अभी मेरे पास कोई धन नहीं है लेकिन हाँ जब में अपना पहला मुकदमा लडूंगा और जीतूँगा तब मुझे जो भी धन मिलेगा उसमे से मै आप को आप की गुरु दक्षिणा दे दूंगा "
तब मैंने उसे कानून पढ़ना शुरु किया और उसने बहुत अच्छे से पढाई करी लेकिन उसने आज तक मेरी गुरु दक्षिणा नहीं दी .
उस वृद्ध टीचर का विद्यार्थी वही खड़ा था दरबार में बहुत गर्ब के साथ तब सम्राट ने पूछा "क्या ये  बात सत्य है ?"
तब उस विद्यार्थी  ने कहा "जी हाँ हुजुर बिलकुल सच है 16 आने सच है ये मेरे गुरु है "
तब सम्राट ने कहा "तुम इनके पैसे क्यों नहीं देते ?"
तब उसने बहुत अदब से कहा "हुजुर मैंने जैसे ही पढाई खत्म की मेरे चाचा ने मुझे बहुत धन -दौलत दे दिया फिर मैंने सोचा मुझे वकालत करने की जरूरत ही नहीं है और शर्त ये थी की जब मै कोई मुकदमा जीतूँगा तब अपने गुरु को पैसे दूंगा. अब जब मुझे कोई मुकदमा लड़ना  ही नहीं है तो मै इन्हें पैसे क्यों दू "
तब सम्राट ने कहा "आप के विद्यार्थी ने बिलकुल सही बात बोली है शर्त के अनुसार आप उस से पैसे नहीं ले सकते है "
ये बता सुन कर वो टीचर बहुत उदास हो गया और वो हाथ जोड़कर वहा से निकलने लगा
तभी एक आवाज़ आयी "रुकिए" और ये आवाज़ थी बीरबल की .अब सम्राट भी मुस्करा दिये की अब तो कुछ होने वाला है.
तब बीरबल ने कहा क्या शर्त थी आप की तब बूढ़े इंसान वही पूरी बात बता दी फिर बीरबल में उस लड़के से पूछा उसने पूरी शर्त बता दी.
तब बीरबल के जोर से कहा "मुबारक हो तुम अपना मुकदमा जीत गये हो अब तुम्हे गुरु दक्षिणा तो देनी पड़ेगी "
और वो लड़का अपने ही जाल में अब फस गया था.और विद्यार्थी ने सर झुका कर अपने गुरु को उसका हक़ दिया तो ये थी बीरबल की चालाकी

अकबर-बीरबल कहानी -2 

एक बार अकबर बादशाह दरबार में बैठ कर राज्य का काम कर रहे थे इतने में केसव नाम का एक आदमी
अपना फरियाद लेकर हाज़िर हुआ.



और उसने कहा "महाराज मेरा एक पडोसी है जो की मेरे लगाये हुए आम के पेड़ पर अपना हक़ जमा रहा है, मै उस पेड़ की 8 सालो से देख-रेख कर रहा हु, आप मेरे साथ न्याय करे"
अक्रबर ने इसकी ज़िम्मेदारी बीरबल को दी और कहा इसके साथ न्याय करो .

बीरबल ने  केसव को बुलाया और उसकी सारी बात सुनी इसके बाद उसके पडोसी को बुलाया
और पूछा "क्या वो आम का पेड़ तुम्हारा है ?"
उसके पडोसी ने  बहुत ही नम्र भाव से कहा "हाँ हुजुर वो मेरा पेड़ है मैंने सात से उसकी देख-रेख करी
है लेकिन अब केसव उसको हड़पना चाहता है "
तब बीरबल ने कहा "क्या उस  पेड़ की कोई रखवाली भी करता है ?"
तब उस पडोसी ने कहा "मेरी और केसव की राय से एक चौकीदार उस पेड़ की देख-रेख करता है  "
ये सुनकर बीरबल ने केसव के पडोसी को जाने दिया और कहा की उस चौकीदार को मेरे पास भेज और इसका फैसला कल सुनाया जायेगा.
बीरबल ने चौकीदार से पूछा "तुम किस की तरफ से रखवाली करते हो?
चौकीदार ने कहा "मै दोनों की तरफ से रखवाली करता हु मुझे जादा दिन भी नहीं हुए इसलिये मुझे ये भी नहीं पता है की वो पेड़ किस का है "
बीरबल ने चौकीदार को भेज दिया और खुद सोचने लगे.शाम को बीरबल ने चौकीदार को फिर से बुलाया और बोले "तुम उन दोनों के पास जाओ और बोलो आम के पेड़ के पास हथियार बंद डाकू खड़े है" और समझाते हुए बोले मेरी बात से जादा या कम मत बोलना मैंने जो बोला है बस उतना ही बोलना तुम्हारे पीछे मै
आदमी भेज रहा हु .


बीरबल ने चौकीदार के पीछे 2 सेवक भेज दिये और उन्हें समझा दिया की तुम केसव और चौकीदार के बीच
बात सुनना और जो कुछ बात हो आकर मुझे बताना.
चौकीदार पहले केसव के पास गया,लेकिन केसव घर पे नहीं था इसलिये उसकी पत्नी को पूरी बात बता कर वापस आ गया ,
फिर केसव के पडोसी के घर गया वो भी घर नहीं था इसलिये उसकी पत्नी को बता के आ गया .बीरबल ने जिन नौकरों को भेजा था वो एक-एक हो के दोनों के घर के पास छिप के बैठ गये.
जब रात को केसव आया तब इसकी पत्नी ने उसको बता दिया तब केसव वोला "इतनी रात को कौन जाये डाकुओं का सामना करने वो भी बिना कुछ खाए पिए चाहे आम रहे या ना रहे लेकिन वो नहीं जायेगा,कुछ सोचने के बाद वो अपनी पत्नी से बोला मैंने सोचा था की फ्री का आम मिल जायेगा ,मेरा उसमे लगा ही क्या है?मैं तो सिर्फ उस पेड़ पे कब्ज़ा करना चाहता था "
उधर जब ये बात केसव के पडोसी को पता चली तो वो तुरंत डाकुओ का सामना करने निकल पड़ा और जब उसकी पत्नी ने भोजन करने को कहा तब वो बोला"भोजन तो आ के भी कर सकता हु लेकिन अगर मै अभी नहीं गया तो मेरी 8 साल की मेहनत बेकार चली जाएगी "
बीरबल के सेवक ने दोनों की बात सुनी और जाकर बीरबल को बता दिया.
अगले दिन जब फैसले की घडी आयी तब बीरबल ने कहा "ये पेड़ तुम दोनों का है मेरे सामने जो सबूत आये है उस से मुझे यही लगता है की तुम दोनों इस पेड़ के बराबर के हक़दार हो इस समय जो पेड़ पर फल है वो दोनो को बाट दिया जायेगा फिर पेड़ को काटकर उसकी लकड़ी आधी-आधी तुम दोनों को दे दी जाएगी"
ये आदेश सुनकर केसव खुश हो गया और बोला "जी हुजुर मुझे मंज़ूर!"
लेकिन इस आदेश को सुन कर केसव के पडोसी को बहुत दुःख हुआ वो बोला "सरकार आप भले ही ये पेड़ केसव को दे दो लेकिन इसको काटो मत"
अब बीरबल समझ गया था की ये पेड़ किस का है उसने सेवक को आदेश दिया की केसव को बंदी बना लिया जाये और पेड़ सिर्फ और सिर्फ केसव के पडोसी का हक़ है.
बादशाह बीरबल के इस फैसले से बहुत खुश हुए और उन्हें सम्मान दिया .

अकबर-बीरबल कहानी -3


एक दिन बात है एक बूढी महिला अपनी विधवा बहु के साथ बादशाह के दरबार में हाज़िर हुई.
उसने बीरबल से कहा की "मेरा बेटा 20 साल तक सही दरबार में सैनिक था कुछ दिन पहले उसकी एक युद्ध में मौत हो गयी उसकी मौत के बाद हम बेसहारा हो गये है आप हमारी कुछ सहायता करे"


बीरबल से उस से कहा "हमारे बादशाह बहुत ही दयालु है वो तुम्हरी सहयता जरुर करेंगे तुम बस वैसा करना जैसा में बोल रहा हु "
अगले दिन सुबह बुडिया दरबार में गयी और अपने बेटे की तलवार दिखाई और कहा "मेरे बेटे ने कभी भी जंग से मुँह नहीं फेरा उसने इसी तलवार से बहुत सारी लड़ाई करी है आप इस तलवार को अपने शस्त्र में जगह दे दीजिये "
बादशाह ने कहा "लाओ दिखाओ ये तलवार "
अकबर ने तलवार को बहुत ध्यान से देखा,उसमे जंग लगी हुई थी और सोचा ये तलवार मेरे किस काम की
इसलिये एक सैनिक को बुलाया और कहा "इस तलवार को औरत को वापस कर दी जाये और साथ में 5 मोहरे भी दे दी जाये"
ये सुनकर बीरबल को धक्का लगा सिर्फ 5 मोहरे ? और बीरबल से कहा "क्या मै ये तलवार देख सकता हु "
और उस तलवार को ध्यान से उठा कर देखा और चुप हो गये
बादशाह समझ गये बीरबल के मन में कुछ चल रहा है और बोलो "बीरबल बोलो हमे अपने मन की बात बताओ"
तब बीरबल ने कहा "हुजुर मुझे यकीन था ये तलवार सोने की बन जाएगी"
बादशाह चौके और बोले "सोने की बन जाएगी ये कैसे हो सकता है ?साफ-साफ बोलो'
तब बीरबल के कहा "एक छोटा सा पत्थर पारस लोहे को सोने में बदल सकता है मै तो इस बात से हैरान हु की ये आप के हाथ में पहुच कर भी सोने की कैसे नहीं बनी "
अब बादशाह अकबर समझ गये थे की बीरबल क्या चाहते है
उन्होंने सेवक को आदेश दिया की "तलवार के बराबर इन्हें सोना दो "
दोनों औरते खुश हो कर वह से चली गयी

अकबर-बीरबल कहानी -4 

बीरबल बहुत नेक दिल और दानी इन्सान थे वो हमेशा दान करते थे इसके अलावा वो बादशाह से जो इनाम मिलता था.

उसको भी गरीबो में बाट देते थे लेकिन वो एक बात का ध्यान रखते थे की कही कोई कपटी इन्सान अपनी दीनता दिखा कर उन्हें ठग न ले .
ऐसे में एक बार बादशाह अकबर ने अपने दरबारियों के साथ मिल कर एक योजना बनायीं की देखते है सच्चे दीन-दुखियो की पहचान बीरबल कर पाते है की नहीं.अपने एक सैनिक को भिखारी के रूप में बीरबल के पास भेजा और कहा अगर वो बीरबल से कुछ ले आयेगा तो वो उसको इनाम देंगे .
एक दिन जब बीरबल पूजा-पाठ कर के वापस आ रहे थे तब वो भेष  बदलकर बीरबल से बोला "मालिक मेरे घर में 8 बच्चे है जो बहुत भूखे है आप इस गरीब की मदद करे ,भगवान आप की मदद करेगा मुझे उम्मीद है की आप मुझे दान देंगे "

बीरबल ने उसे ऊपर से निचे तक देखा और समझ गये ये वैसा नहीं है जैसा दिखने की कोशिस कर रहा है.
वो मन ही मन मुस्कराये और आगे बड दिये और गरीब भी उनके साथ चल दिया .तब उन्हें एक नदी मिली.बीरबल ने उस नदी को पार करने के लिए अपनी जूती अपने हाथ में ले ली उस गरीब ने भी अपने
फटी-पुरानी जूती हाथ में ले ली.बीरबल आगे बढ़ने लगे कंकरीले मार्ग से और बीरबल ने देखा वो इन्सान 2-4 कदम चलने के बाद अपनी जूती पहन लेता.

बीरबल ने  और भी गौर किया की उसके पैर बहुत ही मुलायम और नाजुक है इसलिये उसको कंकरीले मार्ग से चलने में बहुत दिक्कत हो रही है .
और बीरबल उसे खाने को कुछ नहीं दिया.
अगले दिन जब बीरबल दरबार पहुचे तब अकबर ने कहा"बीरबल सुना है तुमने एक भूखे को खाना नहीं दिया और उसे ऐसे ही लौटा दिया "
तब बीरबल ने कहा "भूखे को नहीं हुजुर एक ढोंगी को "
अक्रबर समझ गये थे बीरबल ने पकड़ लिया है तब उन ने पूछा "तुम्हे कैसे पता चला?"
तब बीरबल ने कहा उसके कोमल पैरो को देख कर और उसके महंगे जूतों को देख कर मै समझ गया था ये
ढोंगी है.
तो ये थी अकबर और बीरबल कुछ चुनिन्दा कहानिया  आप ऐसे ही और कहानियो के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक कर सकते थे इसके लिए इस लिंक पे क्लिक करे फेसबुक पेज लाइक
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