ज़िन्दगी की दिशा बदलने वाली कहानिया moral stories in Hindi
इस लेख में आप को motivational stories in hindi for students और motivational story in hindi for success और short motivational stories in hindi with moral के अलावा panchatantra short stories in hindi with moral जैसी पॉइंट पे कहानिया दी गयी है .जिन्हें पढने के बाद आप एक बार जरुर सोचेंगे की "क्या मै सही दिशा में जा रहा हु ?"
घुमते हुए वो तीनो एक खुबसूरत बाग़ में गये.वह तीनो वहां आस-पास की शोभा का आनंद लेने लगे ,तभी उन लोगो की नजर आम के एक पेड़ पर गयी ,उन्होंने देखा की वहां एक बालक डंडा लेकर आया और पेड़ के तने पर डंडा मारकर फल तोड़ने लगा .
गुरु ने अपने साथ आये दोनों बच्चो से आम के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए पूछा -क्या तुम दोनों ने यह देखा ?दोनों बालक ने कहा -हाँ,हमने एक बालक को डंडा मारकर आम का फल तोड़ते हुए देखा.
गुरु ने एक से पूछा -तुम्हरी इसमें क्या राय है ?
पहले वाले बालक ने कहा कहा-गुरु जी मैंने देखा की कैसे उस बालक को डंडा मारकर उस फल को तोडना पड़ा?मै सोच रहा हु जब पेड़ भी बिना डंडा खाए फल नहीं देता है ,तब किसी इन्सान से कैसे काम निकाला जा सकता है यह हमे एक बहुत ही जरुरी सत्य का आइना दिखा है की दुनिया राजी-खुशी नहीं मानने वाली है .यहाँ दबाव डालकर ही समाज या लोगो से कोई काम निकाला जा सकता है
गुरु ने अब दुसरे से पूछा-तुम्हारी इसमें क्या राय है ?
दूसरा बच्चा बोला - गुरु जी ये मुझे ये सिखा रहा है .जिस प्रकार आम का यह पेड़ डंडे खा कर भी उस बालक को मीठा आम दे रहा है,उसी प्रकार इन्सान को भी खुद दुःख सहन कर के दुसरो को हमेशा सुख देना चाहयिए,अगर कोई अपमान करे तो भी बदले में हमे उसका उपकार करना चाहयिए .यही सज्जन इन्सान का धर्म है .
यह कह कर वो वो गुरु जी का चेहरा देखने लगा .गुरु मुस्कराये और बोले -देखो बच्चो जीवन में आप का नजरिया बहुत मायने रखता है,अभी तुम्हारे सामने एक घटना घटी ,लेकिन तुम लोगो ने उसे अलग-अलग रूप में लिया ,क्यों की तुम्हारे सोचने का नजरिया अलग-अलग है.इन्सान अपने सोच के अनुसार ही काम करता है उसके अनुसार फिर फल पाता है
गुरु ने पहले बच्चे को देखते हुए कहा -तुम सब कुछ अधिकार से हासिल करना चाहते हो ,वही तुम्हारा दोस्त प्रेम से हासिल करना चाहता है ,
हमे हर जगह दो पहलू दिखाए देंगे लेकिन हमे सकारात्मक पहलू को देखना है
एक व्यापारी था ,वह ट्रक में चावल के बोरे ले के जा रहा था .एक बोरा खिसक कर गिर गया .कुछ चीटिया आयी 10-20 दाने ले गयी.
कुछ चूहे आये 100-50 gm खाए और चले गये ,कुछ पंछी आये और थोडा खा कर चले गये ,कुछ गाये आयी और 2-3 किलो खा कर चली गयी .
एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया .अन्य प्रणी पेट के लिए जीते है ,लेकिन मनुष्य अधिक चाह में जीता है .इसलिये उसके पास सब कुछ होते हुए भी वह सब से जादा दुखी है .आवशयकता के बाद अपनी इच्छा को रोके ,नहीं तो यह लालच में बदल जाएगी और दुःख कर कारण बनेगी हमे अपनी इच्छाओ को पूरा करना चाहयिए लेकिन जादा का इच्छा रखना मतलब चैन और शांति खोना है.
साधू में पूछा-क्या बात है बेटा ?
लड़की ने कहाँ-हमारे समाज में लडको को हर प्रकार की आजादी होती है .वह कुछ भी करे,कही भी जाये उस पर कोई खास टोका-टाकी नहीं होती है .इसके बिपरीत लडकियों को बात-बात पर टोका जाता है .यह मत करो ,वो मत करो,यहाँ मत जाओ ,घर जल्दी आ जाओ आदि.
साधू मुस्कुराये और बोले-बेटी तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे है ?ये गार्डर सर्दी ,गर्मी ,बरसात ,रात-दिन इसी प्रकार पड़े रहते है .इसके बावजूद इनका कुछ नहीं बिगड़ता है और इनकी कीमत पर भी कोई अंतर नहीं पड़ता है .लडको के लिए कुछ इसी प्रकार की सोच है समाज में .अब तुम चलो एक सोने की दूकान पर ,एक बड़ी तिजोरी ,उसमे एक छोटी तिजोरी.उसमे रखी छोटी सी सुन्दर डिब्बी में रेशम पर नजाकत से रखा चमचमाता हीरा .क्यों की सुनार जानता है की अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गयी तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी.समाज में बेटियों के अहमियत कुछ ऐसी ही है .पुरे घर को रोशन करती झिलमिलाती हीरे की तरह.जरा सी खरोंच से उसके और उसके परिवार के पास कुछ नहीं बचता .बस यही अंतर है लड़के और लडकियों में .
पूरी सभा में चुप्पी छा गयी सभी के आँखों में छाई नमी साफ़ -साफ़ बता रही थी लोहे और हीरे में क्या फर्क होता है.
एक इन्सान बिना बताये एक दिन काम पे नहीं गया.मालिक ने सोचा इस की सैलेरी बड़ा दी जाये यह मन से काम करेगा.अगली बार जब उसको सैलेरी से जादा पैसे दिये तो वह कुछ नहीं बोला चुपचाप पैसे रख लिए कुछ महीने बाद वह फिर से बिना बताये गायब हो गया
मालिक को बहुत गुस्सा आया सोचा इसकी सैलेरी बढाने का क्या फायदा हुआ ?यह नहीं सुधरेगा और उस ने
बड़ी हुई सैलेरी कम कर दी और इस बार उसको पहले वाली सैलेरी दी.इस बार भी वो चुपचाप रहा और कुछ नहीं बोला इस बात से उसका मालिक बहुत चौका और उसने पूछा -जब मैंने तुम्हारी गैरहाज़िर होने के बाद तुम्हरी सैलेरी बड़ा दी तब भी तुम कुछ नहीं बोले और आज तुम्हरी सैलेरी कम कर दी तब भी तुम कुछ नहीं बोले इसकी वजह क्या है?
उसने कहा-जब मै पहले गैर हाज़िर हुए था तब मेरे घर एक बच्चा पैदा हुआ था !! आपने मेरी सैलेरी बड़ा कर दी तो समझ गया भगवान ने उस बच्चे के पोषण का हिस्सा भेजा है और जब दुबारागैर हाज़िर हुआ तो मेरी माता जी का निधन हो गया .जब आप ने मेरी सैलेरी कम कर दी तो मैंने यह मान लिया की मेरी माँ अपने हिस्से का अपने साथ ले गयी फिर इस सैलेरी की खातिर क्यों परेशान हु जिस का ज़िम्मा भगवान ने खुद लिया हुआ है
उसने वैध की बात सुन ली की यह गधे से इन्सान बनाता है .वह वैध के पास गया और बोला -महाराज !मेरे पास बहुत सारे गधे है,पर आपको 2 गधे देता हु ,मेहेरबानी कर के इनको आप इन्सान बना दो
वैध बोला-हाँ बना देंगे ,पर उसका रूपया लगेगा भाई! एक गधे का 100 रूपया लगेगा
गधे वाले ने कहा -ठीक है ,मै आपको अभी पूरा रूपया दे देता हु ,आप इनको इन्सान बना दो बस उसने वैध को 2 गधे दिये और चला गया .
वैध ने दोनों गधे बाजार में जाकर बेच दिये.गधे वाले ने जब आकर पूछा तो वैध बोला -अभी तुम्हारे गधे इन्सान बन रहे है .उन पर मसाला चढ़ा दिया है .
ऐसा करते -करते 3-4 महीने हो गए .अब जब गधे वाला आया तब वैध ने कहा- अरे यार तू आया नहीं तेरे गधे तो कब के इन्सान बन गये और उनकी नौकरी भी लग गयी !जिस गधे के जादा बाल थे,वह तो मौलवी बन गया और स्कूल में बच्चो को पढाता है और दूसरा गधा स्टेशन मास्टर बन गया है .मैंने दोनों को ठीक तरह से इन्सान बना दिया है ,लेकिन तू देरी से आया,इसलिये मसाला जादा चढ़ गया और वो नौकरी में लग गये .अब तू जाने भाई!
गधे वाला घास लेकर स्कूल गया .वैध ने जिसका नाम बताया था ,उस दाढ़ी वाले मौलवी के सामने जाकर वह खड़ा हो गया और घास दिखाते हुए कहने लगा -"आ जा ,आ जा! घास ले ले ,ले ले !"
वह मौलवी चिल्लाया-"अरे !यह कौन है ?क्या करता है ?पागल हो गया है क्या ?"
गधे वाला बोला-मैंने 100 रुपय खर्च किये है तुझे गधे से इन्सान बनाने में ,मै पागल कैसे हो गया ?
मौलवी ने उसे पागल कहते हुए बाहर निकाल दिया अब वह स्टेशन मास्टर के पास गया और उसको घास दिखा कर कहने लगा-"आ जा ,आ जा,ले ले ,ले ले "
स्टेशन मास्टर-अरे ये क्या करता है ?
लोगो ने बताया की यह पाठशाला में भी गया था और मौलवी को भी ऐसा ही कह रहा था .स्टेशन मास्टर ने भी उसको पागल समझ कर वहा से भगा दिया
अब वो गधे वाला वापस वैध के पास आया और बोला -वो दोनों तो मेरे को पागल कहते है !
वैध बोला-अरे भाई ,मैंने पहले ही कहा था की तू देरी से आया ,इसलिये उन पर मसाला जादा चढ़ गया !अधिक मसाला चड़ने से अब वो कब्जे में नहीं रहे !अब मै क्या करू ?
इसी तरह इन्सान घमंड कर लेता है की मै बड़ा समझदार हु ,बड़ा जानकार हु ,तुम्हारे को वर्षो तक पढ़ा सकता हु .उस पर मसाला जादा चढ़ गया है,जब इन्सान में मसाला जादा चढ़ जादा है तो वह अपने अभिमान में किसी की बात नहीं मानता है और दूसरी सीख ये है की गधे वाले की तरह हमे आंख बंद कर के किसी पे भरोसा नहीं करना चाहयिए .
उस खेत में कुछ अनाज व सब्जिया उगाकर वह अपना व परिवार का पालन -पोषण करता था .इस से बड़ी मुश्किल से ही उसका गुजर -बसर हो पाता था .गरीबी के कारण उसके पास धन की हमेशा कमी बनी रहती थी
अपने ईष्यालू स्वभाव के कारण उसकी अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारो से भी बिलकुल नहीं बनती थी .समय के
साथ किसान की उम्र बढने लगी .अब उस से मेहनत का काम नहीं हो पाता था .उसे खेत पर काम करने में भी काफी मुश्किल आती थी .
उसके पास बैल नहीं होने की वजह से खेत भी उसे खुद ही जोतने पड़ते थे .सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था .क्यों की खेत में या आस -पास कोई कुआ या तालाब नहीं था ,जिस से वह अपने खेत की सिंचाई कर सके .एक दिन जब वह अपने खेत से थका हारा घर लौट रहा था तो रास्ते में उसकी मुलाकात एक बुजुर्ग बाबा से हुई.
वह बाबा उस किसान से बोले-क्या बात है भाई बहुत दुखी जान पड़ते हो ?
किसान ने अपनी दुःख भरी दास्तान बाबा को सुनने शरू कर दी ,किसान बोला -क्या बताऊ बाबा ,मै बहतु गरीब हु ,छोटे से खेत के सहारे बड़ी मुश्किल से अपना व परिवार का पेट पाल रहा हु .बुदापे की वजह से खेत में बराबर मेहनत नहीं कर पा रहा हु.मेरे पास धन की कमी है जिसकी वजह से मै एक बैल भी नहीं खरीद सकता हु .मेरे पास एक बैल होता तो भी मै अपने खेत की जुताई,बुवाई और सिंचाई का सारा काम आराम से कर लेता .
बाबा ने उस से पूछा-अगर तुम्हे बैल मिल जाये तो क्या तुम्हरी समस्या का समाधान हो जायेगा ?
किसान ने कहा-तब तो मेरी खेती का सारा काम बहुत आसानी से हो जायेगा .मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा !
किसान ने आगे कहा-पर बाबा मुझे बैल कहा से मिलेगा ?
बुजुर्ग ने कहा-मै आज ही तुम्हे एक बैल देता हु,सामने खड़े एक बैल की तरफ इशारा करते हुए
उन्होंने कहा-जाओ यह बैल घर ले जाओ पर घर जाकर तुम अपने पडोसी को मेरे पास भेज देना
किसान को कुछ अजीब सा लगा पर वह बोला-आप मुझे बैल दे देंगे ,यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई लेकिन
आप मेरे पडोसी से क्यों मिलना चाहते है ?.
बुजुर्ग ने कहा -क्यों की मै उसे दो बैल देना चाहता हु ,इसलिये जाओ और अपने पडोसी से बोलना की मेरे पास आकार दो बैल ले जाये .
यह सुनते ही किसान का ईष्यालू स्वभाव अन्दर से जाग उठा और अन्दर ही अन्दर गुस्सा होने लगा .वह ईष्या के कारण अन्दर ही अन्दर जल-भुन रहा था .
वह बोला -बाबा !यह कैसा गजब है! आप नहीं जानते मेरे पडोसी के
पास पहले से ही सब कुछ है .फिर उसे और 2 बैल देने की क्या जरुरुत है .यदि मुझे एक बैल देने के कारण आप उसे 2 बैल देना चाहते है तो मुझे एक बैल भी नहीं चाहयिए
बुर्जुग ने बैल को अपनी और खीचा और कहा -क्या तुम जानते हो की तुम्हारी समस्या का कारण क्या है ?
तुम्हरी समस्या का कारण गरीबी नहीं ईष्या है .तुम्हे जो मिल रहा है ,यदि तुम उतने में ही खुस हो जाते और पड़ोसियों व रिश्तेदारो की सुख-सुविधा से ईष्या नहीं करते तो शायद संसार में सब से जादा सुखी इन्सान बन जाते .
,इस बार वोट मुझे दे.
बुजुर्ग ने कहा-मुझे पैसे नहीं चाहयिए ,वोट चाहयिए तो एक गधा खरीद के ला दो
नेता गधा खोजने निकला .मगर कही भी 8000 से कम कीमत पर कोई गधा नहीं मिला .वापस आकर बाबा जी से बोला-सही कीमत पर कोई गधा नहीं मिला.कम से कम 8000 का एक गधा है
बाबा जी ने कहा-वोट मांग कर शर्मिंदा ना करो ,तुम्हारी नज़र में मेरी कीमत गधे से भी कम है ,जब गधा
8000 में नहीं बिक रहा है.मै तो इन्सान हु 1000 में कैसे बिक सकता हु ?
जागों वोटर्स जागो और अपने वोट की कीमत पहचानो.
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कहानी-1 सोचने का नजरिया
एक गुरुकुल में बहुत सारे बच्चे पढ़ा करते थे .इनमे से 2 बच्चे में गहरी दोस्ती थी .ये दोनों ही बच्चे गुरुकुल के सब से होसियार बच्चे थे .एक दिन उस गुरुकुल में उनके गुरु दोनों को घुमाने के लिए बाहर ले के गये .घुमते हुए वो तीनो एक खुबसूरत बाग़ में गये.वह तीनो वहां आस-पास की शोभा का आनंद लेने लगे ,तभी उन लोगो की नजर आम के एक पेड़ पर गयी ,उन्होंने देखा की वहां एक बालक डंडा लेकर आया और पेड़ के तने पर डंडा मारकर फल तोड़ने लगा .
गुरु ने अपने साथ आये दोनों बच्चो से आम के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए पूछा -क्या तुम दोनों ने यह देखा ?दोनों बालक ने कहा -हाँ,हमने एक बालक को डंडा मारकर आम का फल तोड़ते हुए देखा.
गुरु ने एक से पूछा -तुम्हरी इसमें क्या राय है ?
पहले वाले बालक ने कहा कहा-गुरु जी मैंने देखा की कैसे उस बालक को डंडा मारकर उस फल को तोडना पड़ा?मै सोच रहा हु जब पेड़ भी बिना डंडा खाए फल नहीं देता है ,तब किसी इन्सान से कैसे काम निकाला जा सकता है यह हमे एक बहुत ही जरुरी सत्य का आइना दिखा है की दुनिया राजी-खुशी नहीं मानने वाली है .यहाँ दबाव डालकर ही समाज या लोगो से कोई काम निकाला जा सकता है
गुरु ने अब दुसरे से पूछा-तुम्हारी इसमें क्या राय है ?
दूसरा बच्चा बोला - गुरु जी ये मुझे ये सिखा रहा है .जिस प्रकार आम का यह पेड़ डंडे खा कर भी उस बालक को मीठा आम दे रहा है,उसी प्रकार इन्सान को भी खुद दुःख सहन कर के दुसरो को हमेशा सुख देना चाहयिए,अगर कोई अपमान करे तो भी बदले में हमे उसका उपकार करना चाहयिए .यही सज्जन इन्सान का धर्म है .
यह कह कर वो वो गुरु जी का चेहरा देखने लगा .गुरु मुस्कराये और बोले -देखो बच्चो जीवन में आप का नजरिया बहुत मायने रखता है,अभी तुम्हारे सामने एक घटना घटी ,लेकिन तुम लोगो ने उसे अलग-अलग रूप में लिया ,क्यों की तुम्हारे सोचने का नजरिया अलग-अलग है.इन्सान अपने सोच के अनुसार ही काम करता है उसके अनुसार फिर फल पाता है
गुरु ने पहले बच्चे को देखते हुए कहा -तुम सब कुछ अधिकार से हासिल करना चाहते हो ,वही तुम्हारा दोस्त प्रेम से हासिल करना चाहता है ,
हमे हर जगह दो पहलू दिखाए देंगे लेकिन हमे सकारात्मक पहलू को देखना है
कहानी-2 सन्तोष
एक व्यापारी था ,वह ट्रक में चावल के बोरे ले के जा रहा था .एक बोरा खिसक कर गिर गया .कुछ चीटिया आयी 10-20 दाने ले गयी.
कुछ चूहे आये 100-50 gm खाए और चले गये ,कुछ पंछी आये और थोडा खा कर चले गये ,कुछ गाये आयी और 2-3 किलो खा कर चली गयी .
एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया .अन्य प्रणी पेट के लिए जीते है ,लेकिन मनुष्य अधिक चाह में जीता है .इसलिये उसके पास सब कुछ होते हुए भी वह सब से जादा दुखी है .आवशयकता के बाद अपनी इच्छा को रोके ,नहीं तो यह लालच में बदल जाएगी और दुःख कर कारण बनेगी हमे अपनी इच्छाओ को पूरा करना चाहयिए लेकिन जादा का इच्छा रखना मतलब चैन और शांति खोना है.
कहानी-3 लोहे और हीरे में क्या फर्क होता?
एक साधू की कथा में एक लड़की खड़ी हो गयी और गुस्से से साधू को देखने लगी .साधू में पूछा-क्या बात है बेटा ?
लड़की ने कहाँ-हमारे समाज में लडको को हर प्रकार की आजादी होती है .वह कुछ भी करे,कही भी जाये उस पर कोई खास टोका-टाकी नहीं होती है .इसके बिपरीत लडकियों को बात-बात पर टोका जाता है .यह मत करो ,वो मत करो,यहाँ मत जाओ ,घर जल्दी आ जाओ आदि.
साधू मुस्कुराये और बोले-बेटी तुमने कभी लोहे की दुकान के बाहर पड़े लोहे के गार्डर देखे है ?ये गार्डर सर्दी ,गर्मी ,बरसात ,रात-दिन इसी प्रकार पड़े रहते है .इसके बावजूद इनका कुछ नहीं बिगड़ता है और इनकी कीमत पर भी कोई अंतर नहीं पड़ता है .लडको के लिए कुछ इसी प्रकार की सोच है समाज में .अब तुम चलो एक सोने की दूकान पर ,एक बड़ी तिजोरी ,उसमे एक छोटी तिजोरी.उसमे रखी छोटी सी सुन्दर डिब्बी में रेशम पर नजाकत से रखा चमचमाता हीरा .क्यों की सुनार जानता है की अगर हीरे में जरा भी खरोंच आ गयी तो उसकी कोई कीमत नहीं रहेगी.समाज में बेटियों के अहमियत कुछ ऐसी ही है .पुरे घर को रोशन करती झिलमिलाती हीरे की तरह.जरा सी खरोंच से उसके और उसके परिवार के पास कुछ नहीं बचता .बस यही अंतर है लड़के और लडकियों में .
पूरी सभा में चुप्पी छा गयी सभी के आँखों में छाई नमी साफ़ -साफ़ बता रही थी लोहे और हीरे में क्या फर्क होता है.
कहानी-4 अच्छी सोच
एक इन्सान बिना बताये एक दिन काम पे नहीं गया.मालिक ने सोचा इस की सैलेरी बड़ा दी जाये यह मन से काम करेगा.अगली बार जब उसको सैलेरी से जादा पैसे दिये तो वह कुछ नहीं बोला चुपचाप पैसे रख लिए कुछ महीने बाद वह फिर से बिना बताये गायब हो गया
मालिक को बहुत गुस्सा आया सोचा इसकी सैलेरी बढाने का क्या फायदा हुआ ?यह नहीं सुधरेगा और उस ने
बड़ी हुई सैलेरी कम कर दी और इस बार उसको पहले वाली सैलेरी दी.इस बार भी वो चुपचाप रहा और कुछ नहीं बोला इस बात से उसका मालिक बहुत चौका और उसने पूछा -जब मैंने तुम्हारी गैरहाज़िर होने के बाद तुम्हरी सैलेरी बड़ा दी तब भी तुम कुछ नहीं बोले और आज तुम्हरी सैलेरी कम कर दी तब भी तुम कुछ नहीं बोले इसकी वजह क्या है?
उसने कहा-जब मै पहले गैर हाज़िर हुए था तब मेरे घर एक बच्चा पैदा हुआ था !! आपने मेरी सैलेरी बड़ा कर दी तो समझ गया भगवान ने उस बच्चे के पोषण का हिस्सा भेजा है और जब दुबारागैर हाज़िर हुआ तो मेरी माता जी का निधन हो गया .जब आप ने मेरी सैलेरी कम कर दी तो मैंने यह मान लिया की मेरी माँ अपने हिस्से का अपने साथ ले गयी फिर इस सैलेरी की खातिर क्यों परेशान हु जिस का ज़िम्मा भगवान ने खुद लिया हुआ है
कहानी-5 घमंड
एक वैध था .वह अपने साथ एक आदमी को रखता था .एक दिन वे गाँव से रवाना हुए तो किसी बात को लेकर उन्होंने उस आदमी की डाट लगायी -अरे तू जानता नहीं है? पहले तू कैसा था ?तू तो गधा था .मैंने तेरे को गधे से इन्सान बनाया !मैंने तेरा इतना उपकार किया ,फिर भी तू मेरी बात मानता नहीं !पास में ही एक गधेवाला जा रहा था .उसने वैध की बात सुन ली की यह गधे से इन्सान बनाता है .वह वैध के पास गया और बोला -महाराज !मेरे पास बहुत सारे गधे है,पर आपको 2 गधे देता हु ,मेहेरबानी कर के इनको आप इन्सान बना दो
वैध बोला-हाँ बना देंगे ,पर उसका रूपया लगेगा भाई! एक गधे का 100 रूपया लगेगा
गधे वाले ने कहा -ठीक है ,मै आपको अभी पूरा रूपया दे देता हु ,आप इनको इन्सान बना दो बस उसने वैध को 2 गधे दिये और चला गया .
वैध ने दोनों गधे बाजार में जाकर बेच दिये.गधे वाले ने जब आकर पूछा तो वैध बोला -अभी तुम्हारे गधे इन्सान बन रहे है .उन पर मसाला चढ़ा दिया है .
ऐसा करते -करते 3-4 महीने हो गए .अब जब गधे वाला आया तब वैध ने कहा- अरे यार तू आया नहीं तेरे गधे तो कब के इन्सान बन गये और उनकी नौकरी भी लग गयी !जिस गधे के जादा बाल थे,वह तो मौलवी बन गया और स्कूल में बच्चो को पढाता है और दूसरा गधा स्टेशन मास्टर बन गया है .मैंने दोनों को ठीक तरह से इन्सान बना दिया है ,लेकिन तू देरी से आया,इसलिये मसाला जादा चढ़ गया और वो नौकरी में लग गये .अब तू जाने भाई!
गधे वाला घास लेकर स्कूल गया .वैध ने जिसका नाम बताया था ,उस दाढ़ी वाले मौलवी के सामने जाकर वह खड़ा हो गया और घास दिखाते हुए कहने लगा -"आ जा ,आ जा! घास ले ले ,ले ले !"
वह मौलवी चिल्लाया-"अरे !यह कौन है ?क्या करता है ?पागल हो गया है क्या ?"
गधे वाला बोला-मैंने 100 रुपय खर्च किये है तुझे गधे से इन्सान बनाने में ,मै पागल कैसे हो गया ?
मौलवी ने उसे पागल कहते हुए बाहर निकाल दिया अब वह स्टेशन मास्टर के पास गया और उसको घास दिखा कर कहने लगा-"आ जा ,आ जा,ले ले ,ले ले "
स्टेशन मास्टर-अरे ये क्या करता है ?
लोगो ने बताया की यह पाठशाला में भी गया था और मौलवी को भी ऐसा ही कह रहा था .स्टेशन मास्टर ने भी उसको पागल समझ कर वहा से भगा दिया
अब वो गधे वाला वापस वैध के पास आया और बोला -वो दोनों तो मेरे को पागल कहते है !
वैध बोला-अरे भाई ,मैंने पहले ही कहा था की तू देरी से आया ,इसलिये उन पर मसाला जादा चढ़ गया !अधिक मसाला चड़ने से अब वो कब्जे में नहीं रहे !अब मै क्या करू ?
इसी तरह इन्सान घमंड कर लेता है की मै बड़ा समझदार हु ,बड़ा जानकार हु ,तुम्हारे को वर्षो तक पढ़ा सकता हु .उस पर मसाला जादा चढ़ गया है,जब इन्सान में मसाला जादा चढ़ जादा है तो वह अपने अभिमान में किसी की बात नहीं मानता है और दूसरी सीख ये है की गधे वाले की तरह हमे आंख बंद कर के किसी पे भरोसा नहीं करना चाहयिए .
कहानी-6 ईष्या
ये काफी समय पहले की बात है एक गाँव में ईष्या करने वाला एक किसान रहता था .वो बहुत गरीब था ,अपनी जीविका के लिए उसके पास एक बहुत छोटा सा खेत था.उस खेत में कुछ अनाज व सब्जिया उगाकर वह अपना व परिवार का पालन -पोषण करता था .इस से बड़ी मुश्किल से ही उसका गुजर -बसर हो पाता था .गरीबी के कारण उसके पास धन की हमेशा कमी बनी रहती थी
अपने ईष्यालू स्वभाव के कारण उसकी अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारो से भी बिलकुल नहीं बनती थी .समय के
साथ किसान की उम्र बढने लगी .अब उस से मेहनत का काम नहीं हो पाता था .उसे खेत पर काम करने में भी काफी मुश्किल आती थी .
उसके पास बैल नहीं होने की वजह से खेत भी उसे खुद ही जोतने पड़ते थे .सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था .क्यों की खेत में या आस -पास कोई कुआ या तालाब नहीं था ,जिस से वह अपने खेत की सिंचाई कर सके .एक दिन जब वह अपने खेत से थका हारा घर लौट रहा था तो रास्ते में उसकी मुलाकात एक बुजुर्ग बाबा से हुई.
वह बाबा उस किसान से बोले-क्या बात है भाई बहुत दुखी जान पड़ते हो ?
किसान ने अपनी दुःख भरी दास्तान बाबा को सुनने शरू कर दी ,किसान बोला -क्या बताऊ बाबा ,मै बहतु गरीब हु ,छोटे से खेत के सहारे बड़ी मुश्किल से अपना व परिवार का पेट पाल रहा हु .बुदापे की वजह से खेत में बराबर मेहनत नहीं कर पा रहा हु.मेरे पास धन की कमी है जिसकी वजह से मै एक बैल भी नहीं खरीद सकता हु .मेरे पास एक बैल होता तो भी मै अपने खेत की जुताई,बुवाई और सिंचाई का सारा काम आराम से कर लेता .
बाबा ने उस से पूछा-अगर तुम्हे बैल मिल जाये तो क्या तुम्हरी समस्या का समाधान हो जायेगा ?
किसान ने कहा-तब तो मेरी खेती का सारा काम बहुत आसानी से हो जायेगा .मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा !
किसान ने आगे कहा-पर बाबा मुझे बैल कहा से मिलेगा ?
बुजुर्ग ने कहा-मै आज ही तुम्हे एक बैल देता हु,सामने खड़े एक बैल की तरफ इशारा करते हुए
उन्होंने कहा-जाओ यह बैल घर ले जाओ पर घर जाकर तुम अपने पडोसी को मेरे पास भेज देना
किसान को कुछ अजीब सा लगा पर वह बोला-आप मुझे बैल दे देंगे ,यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई लेकिन
आप मेरे पडोसी से क्यों मिलना चाहते है ?.
बुजुर्ग ने कहा -क्यों की मै उसे दो बैल देना चाहता हु ,इसलिये जाओ और अपने पडोसी से बोलना की मेरे पास आकार दो बैल ले जाये .
यह सुनते ही किसान का ईष्यालू स्वभाव अन्दर से जाग उठा और अन्दर ही अन्दर गुस्सा होने लगा .वह ईष्या के कारण अन्दर ही अन्दर जल-भुन रहा था .
वह बोला -बाबा !यह कैसा गजब है! आप नहीं जानते मेरे पडोसी के
पास पहले से ही सब कुछ है .फिर उसे और 2 बैल देने की क्या जरुरुत है .यदि मुझे एक बैल देने के कारण आप उसे 2 बैल देना चाहते है तो मुझे एक बैल भी नहीं चाहयिए
बुर्जुग ने बैल को अपनी और खीचा और कहा -क्या तुम जानते हो की तुम्हारी समस्या का कारण क्या है ?
तुम्हरी समस्या का कारण गरीबी नहीं ईष्या है .तुम्हे जो मिल रहा है ,यदि तुम उतने में ही खुस हो जाते और पड़ोसियों व रिश्तेदारो की सुख-सुविधा से ईष्या नहीं करते तो शायद संसार में सब से जादा सुखी इन्सान बन जाते .
कहानी-6 वोट
एक नेता वोट मांगने के लिए एक बुढे के आदमी के पास गया और उनको 1000 रुपये का नोट दे कहा-बाबा जी,इस बार वोट मुझे दे.
बुजुर्ग ने कहा-मुझे पैसे नहीं चाहयिए ,वोट चाहयिए तो एक गधा खरीद के ला दो
नेता गधा खोजने निकला .मगर कही भी 8000 से कम कीमत पर कोई गधा नहीं मिला .वापस आकर बाबा जी से बोला-सही कीमत पर कोई गधा नहीं मिला.कम से कम 8000 का एक गधा है
बाबा जी ने कहा-वोट मांग कर शर्मिंदा ना करो ,तुम्हारी नज़र में मेरी कीमत गधे से भी कम है ,जब गधा
8000 में नहीं बिक रहा है.मै तो इन्सान हु 1000 में कैसे बिक सकता हु ?
जागों वोटर्स जागो और अपने वोट की कीमत पहचानो.
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बहुत ही प्रेरणादायक कहानी
ReplyDeleteसुक्रिया जी आप के लिए हम ऐसी नई कहानिया लाते रहेंगे
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